जरूरत पड़ी तो सौ साल तक रहेगा आरक्षण
जरूरत पड़ी तो सौ साल तक रहेगा आरक्षण Social Media
बिहार

जरूरत पड़ी तो सौ साल तक रहेगा आरक्षण, इसे कोई छू नहीं सकता : सुशील कुमार मोदी

News Agency, राज एक्सप्रेस

पटना, बिहार। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि संसद और विधानमंडलों में आरक्षण बाबा साहब अम्बेडकर और गांधी जी की देन है, इसे कोई छीन नहीं सकता बल्कि जरूरत पड़ी तो यह 100 साल तक लागू रहेगा।

सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को यहां अम्बेडकर जयंती समारोह में कहा कि जब तक समाज में असमानता रहेगी, तब तक आरक्षण रहेगा। इसकी कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने दलित उत्पीड़न निवारण कानून को शिथिल करना चाहा, तब केंद्र की भाजपा सरकार ने उस कानून में 23 नई धाराएँ जोड़ कर इसे और मजबूत बना दिया।

भाजपा सांसद ने कहा कि बाबा साहेब को जिस कांग्रेस ने लगातार अपमानित किया, उसी की गोद में बैठ कर श्री नीतीश कुमार और श्री लालू प्रसाद देश पर राज करने के सपने देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के समर्थन से बनी वीपी सिंह की सरकार ने बाबा साहब की मृ्त्यु के 37 साल बाद उन्हें भारत रत्न प्रदान किया, जबकि नेहरू-गांधी परिवार के लोग मृत्यु के कुछ ही महीने बाद भारत रत्न से सम्मानित होते रहे।

सुशील कुमार मोदी ने कहा जब नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, तब अम्बेडकर के जन्म, शिक्षा, संसदीय जीवन और देहावसान से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थलों पर भव्य स्मारक बना कर उन्हें पंचतीर्थ घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी राज में बिहार के लक्ष्मणपुर बाधे, मियांपुर, नारायणपुर सहित दर्जन भर स्थानों पर दलितों का सामूहिक संहार हुआ। इनमें 200 से ज्यादा स्री-पुरुष बच्चे लाइन में खड़े कर मारे गये या उनके घरों में ही जिंदा जला दिया गया था।

भाजपा सांसद ने कहा कि वर्ष 2001 में राबड़ी सरकार ने पंचायत और निकायों में एकल पदों पर दलितों को आरक्षण दिये बिना चुनाव करा लिये थे। उन्होंने कहा कि जब भाजपा के सहयोग से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार बनी, तभी पंचायत और निकायों में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को आरक्षण देकर बिहार में बाबा साहब के सपने को सार्थक किया जा सका। उन्होंने कहा कि श्री नीतीश कुमार आज उस कांग्रेस के दरवाजे पर हैं, जिसने 1952 के पहले संसदीय चुनाव और 1954 के उपचुनाव में अम्बेडकर को हराने का षड्यंत्र रचा था। कांग्रेस बाबा साहब को संसद में नहीं घुसने देना चाहती थी।

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