Rabindranath Tagore Jayanti 2023
Rabindranath Tagore Jayanti 2023 Raj Express
छत्तीसगढ़

CM बघेल ने Rabindranath Tagore की जयंती पर किया नमन, दो देशों को द‍िए राष्‍ट्रगान जानें रोचक बातें

Deeksha Nandini

Rabindranath Tagore Jayanti 2023: हर साल 7 मई को भारत में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti) मनाई जाती है। रबीन्द्रनाथ विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और राष्ट्रगान के रचयिता गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर उन्हें नमन किया है।

रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर सीएम बघेल का सन्देश :

आज राष्ट्र गान के रचयिता, महान कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नोबल पुरस्कार से सम्मानित, श्रद्धेय स्व. रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती है। इस अवसर पर सीएम बघेल ने उन्हें नमन करते हुए रविन्द्र नाथ टैगोर के विचार मूल्यों से प्रेरणा लेनी की बात कही। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि "गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर एक मानवता वादी विचारक एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनका शिक्षा, साहित्य सहित कला के क्षेत्र में योगदान अद्धितीय है। वे भारत ही नही एशिया के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। युवा पीढ़ी को गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के विचार मूल्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए"

Rabindranath Tagore की रोचक बातें

  • रवीन्द्रनाथ के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1863 में सात एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की थी। वहीं आज विश्वभारती है।

  • रवीन्द्रनाथ ने 1901 में सिर्फ पांच छात्रों को लेकर यहां एक स्कूल खोला। इन पांच लोगों में उनका पुत्र भी शामिल था। 1921 में यह विद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।

  • ब्रिटिश सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर को 'सर' की उपाधि से भी नवाजा था, लेकिन जलियांवाला बाग कांड (साल 1919) के बाद उन्‍होंने इस उपाधि को वापस कर द‍िया था।

  • टैगोर बैरिस्टर बनना चाहते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि रवींद्रनाथ टैगोर को कलर ब्लाइंडनेस था।

  • रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' तो लिखा ही है। इसके साथ ही उन्‍होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी लिखा है।

  • श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है।

  • टैगोर दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित किया। इसके पहले स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद को संबोधित किया था।

  • टैगोर ने कई कविताएं और पुस्तकें प्रकाशित की इसके अलावा काव्यरचना गीतांजलि के लिये रवींद्रनाथ टैगोर को 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार म‍िला।

  • टैगोर ने इस नोबेल पुरस्कार को सीधे स्वीकार नहीं किया, बल्कि उनकी जगह पर ब्रिटेन के एक राजदूत ने ये पुरस्कार लिया था।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT