हरेली त्यौहार पर मूक बधिर छात्राओं ने लगाई गेड़ी दौड़
हरेली त्यौहार पर मूक बधिर छात्राओं ने लगाई गेड़ी दौड़  Social Media
छत्तीसगढ़

हरेली त्यौहार पर मूक बधिर बेटियों ने गेड़ी दौड़ लगाकर पेश की छत्तीसगढ़ के सशक्त कल की तस्वीर

Kavita Singh Rathore

रायपुर, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यु के दौरान कहा था कि, 'हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है।' यह त्यौहार श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी हरेली के दिन से मनाया जाता है। इस त्यौहार से तंत्र विद्या की शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है। वहीं, इस त्यौहार के मौके पर छत्तीसगढ़ की मूक बधिर बेटियों ने गेड़ी दौड़ लगा कर एक बड़ा सन्देश दिया।

छत्तीसगढ़ में किया गया बड़ा बदलाव :

दरअसल, छत्तीसगढ़ में हरेली के त्यौहार से लोकहित के उद्देश्य से इच्छा रखने वाले शिष्य पीलिया, विष उतारने, नजर से बचाने, महामारी और बाहरी हवा से बचाने समेत कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए तंत्र-मंत्र की शिक्षा लेते है। इस शिक्षा की शुरुआत छत्तीसगढ़ में हरेली के त्यौहार से ही की जाती है। वहीं, इस त्यौहार को यहां काफी महत्व दिया जाता है। हरेली त्यौहार के अवसर पर यहां गेड़ी चढ़ने और गेड़ी दौड़ लगाने की परम्परा भी मानी जाती है। इसलिए इस मौके पर हमेशा गेड़ी दौड़ का आयोजन भी किया जाता है। वैसे तो उस दौड़ में सामान्यतः बालकों और पुरुषों द्वारा ही भाग लिया जाता रहा हैं, लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ में एक बहुत बड़ा बदलाव किया गया है। इस बदलाव के तहत यहां, पहली बार इस दौड़ में मूक बधिर छात्राओं ने भी भाग लिया है।

छत्तीसगढ़ की बेटियों ने लगाई गेड़ी दौड़ :

बताते चलें, छत्तीसगढ़ में पहली बार हरेली त्यौहार के मौके पर इस दौड़ में मूक बधिर छात्राओं ने भी भाग लिया है। इस मौके पर जब छत्तीसगढ़ में हरेली के उत्साह में जब मूक बधिर बेटियां गेड़ी पर दौड़ लगाती हैं, तो उनको देखकर हर किसी के मन में बस यही ख्याल आता है कि, इन बेटियों का ये हौसला कभी कम न हो और यह इसी तरह हमेशा आगे बढ़ती रहे किसी तरह की कोई रूकावट इनके रस्ते में ना आए। इससे पता चलता है कि, छत्तीसगढ़ की बेटियों में कितना आत्मविश्वास और हौसलों की उड़ान भरने की हिम्मत हैं। बता दें, जिन बेटियों ने यह गेड़ी दौड़ लगाई है। वह धमतरी के शासकीय श्रवण बधितार्थ बालिका विद्यालय की छात्रा हैं।

बेटियों ने भरी आत्मविश्वास और हौसलों की उड़ान :

शासकीय श्रवण बधितार्थ बालिका विद्यालय की इन बेटियों ने इस दौड़ में भाग लेकर अपने आत्मविश्वास और हौसलों की उड़ान भरी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने हरेली पर विभिन्न पारंपरिक खेलों का आयोजन कर उनमें लैंगिक भेद-भाव के परे आत्मविश्वास का नया रंग भरने की कोशिश की है। सच कहें तो आगे बढ़ती ये बेटियां छत्तीसगढ़ के सशक्त कल की तस्वीर पेश करती हैं।

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