National Panchayati Raj Day: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के पंचायत राज प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। साथ उन्होंने पंचायती राज का योगदान तथा लोकतंत्र में महत्त्व कइ विषय पर भी बात की हैं। जिसमे सीएम बघेल ने कहा- 'पंचायती राज संस्थाएं सशक्त होंगी तो लोकतंत्र भी मजबूत होगा'
सीएम बघेल का उद्बोधन :
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा है कि संविधान के 73 वें संशोधन के अधिनियमन के प्रतीक स्वरूप भारत में 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस मनाया जाता है। इस संशोधन अधिनियम से स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना के लिए पंचायती राज संस्थान को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।
महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपना साकार :
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ग्राम पंचायतों को संवैधानिक अधिकार और दायित्व देकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार किया है। छत्तीसगढ़ में पंचायती राज संस्थाओं ने जमीनी स्तर पर अपनी नेतृत्व क्षमता और भागीदारी को साबित किया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि संकट के समय में आंगनबाड़ियों व पीडीएस (PDS) के माध्यम से हितग्राही परिवारों को राशन पहुंचाना हो या मनरेगा के माध्यम से रोजगार मुहैया कराना, इन सभी कामों में सरकार के साथ पंचायतों ने कदम से कदम मिलाकर काम किया है। पंचायती राज संस्थाएं जितनी सशक्त होंगी, लोकतंत्र भी उतना ही मजबूत होगा।
पंचायती राज दिवस का इतिहास :
भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 24 अप्रैल 2010 को पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस घोषित किया था। उन्होंने बताया कि अगर पंचायती राज संस्थाओं ने ठीक से काम किया और स्थानीय लोगों ने विकास प्रक्रिया में भाग लिया, तो माओवादी खतरे का मुकाबला किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2015 को निर्वाचित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, "सरपंच पति" की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया, ताकि वे सत्ता में चुने जाने वाले उनके कामों पर अनुचित प्रभाव डाल सकें।
क्यों मानते है पंचायती राज दिवस
देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि अगर देश के गांवों को खतरा पैदा हुआ तो पूरे भारत को खतरा पैदा हो जाएगा। इसके लिए उन्होंने सशक्त और मजबूत गांवों का सपना देखा था। इसी सपने को पूरा करने के लिए 1992 में संविधान में 73वां संशोधन किया गया और पंचायती राज संस्थान का कॉन्सेप्ट पेश किया गया। इस ऐतिहासिक संशोधन के जरिए जमीनी स्तर की शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया गया और पंचायती राज नाम की एक संस्था की बुनियाद रखी गई।
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