Chattisgarh Milk Story
Chattisgarh Milk Story Raj Express
छत्तीसगढ़

पढ़िए छत्तीसगढ़ के उस गांव की कहानी जहां दूध के लिए तरसते थे लोग, अब होता है कई लीटर दूध सप्लाई

Deeksha Nandini

Chattisgarh Milk Story: गांवों में अक्सर दूध, दही, घी और मक्खन की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में होती है पर छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के एक गांव में ऐसा नहीं था। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव (Kondagaon) की ग्राम पंचायत बोलबोला में अब से कुछ समय पहले दूध के लिए लोग तरसते थे दूसरे गांवों पर निर्भर थे, पर आज ऐसा नहीं है। एक ऐसा गांव जहां एक भी दुधारू पशु नहीं था, अब इस गांव में बड़ी संख्या में दुधारू पशु हैं और कई लीटर दूध का उत्पादन यहाँ के लोग करते हैं। गांव की आमदनी का बड़ा जरिया दूध बन गया है। जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी ...।

सहयोग से हुआ संभव ऐसा परिवर्तन :

कोंडागांव जिला प्रशासन (Kondagaon District Administration) ने उन गांवों के लिए रणनीति बनाई, जहां दुग्ध उत्पादन नहीं होता था। जिले के बोलबोला ग्राम पंचायत (Bolbola Gram Panchayat) में सामूहिकता, लगन और प्रशासन के सहयोग से ऐसा परिवर्तन आया कि जहां कोई दूधारू पशु था ही नहीं अब वहां दुग्ध का भरपूर उत्पादन हो रहा है, बल्कि जिला मुख्यालय (District Headquarter) और आस पास के गांवों को आपूर्ति की जा रही है। इस समय हितग्राहियों के पास 32 दूधारू पशु हैं जिनसे प्रतिदिन 300 लीटर दुग्ध का उत्पादन हो रहा है।

पशुपालन विभाग ने गौपालन के लिए दिया प्रशिक्षण :

पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ. नीता मिश्रा बताती हैं कि राज्य में की गई 19वीं पशु संगणना में बोलबोला ग्राम पंचायत में दूधारू गाय नहीं थी। लेकिन गांव में गौठान बनने से लोग गौपालन के लिए आगे आए और यहां पशुपालन विभाग द्वारा गौठानों में महिला समूह को गौपालन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। यहां पर गौठान से जुड़ी महिला समूहों को गौ-पालन के लिए तैयार किया गया। इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण और ऋण अनुदान सहित गौठानों में चारा पानी और टीकाकरण सहित कई सुविधाएं उपलब्ध करायी गई।

ग्रामीणों को दुग्ध चिलिंग प्लांट संचालन का ओडिशा में प्रशिक्षण :

इन महिला समूहों के साथ उनके परिवार के पुरूष सदस्य तथा गांव के अन्य ग्रामीण भी गौपालन करने और सहयोग करने के लिए आगे आए। इसके साथ ही गाय खरीदने और दुग्ध चिंलिंग प्लांट लगाने के लिए हितग्राहियों को ऋण अनुदान दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा पशुपालन के लिए डीएमएफ (DMF) और मनरेगा (MANREGA) से शेड तैयार कराया गया। समूह के सदस्य तथा अन्य ग्रामीणों को दुग्ध चिलिंग प्लांट (Milk Chilling Plant) के संचालन के लिए ओडिशा (Odisha) में प्रशिक्षण भी दिया गया। दूधारू पशु खरीदने के लिए 16 पशुपालकों को आदिवासी परियोजना (Tribal Project), राज्य डेयरी उद्यमिता योजना से सहायता उपलब्ध करायी गई है। पशुओं को हरे चारे की व्यवस्था के लिए गौठान में नेपियर घास की खेती की जा रही है, जिससे पशुओं को हरे चारे की उपलब्धता हर समय बनी रहे।

हमर गरूवा हमर गौठान कार्यक्रम से बदलाव :

बोलबोला गौठान के सामुदायिक डेयरी में हितग्राहियों ने दूधारू पशु रखे और दुग्ध उत्पादन शुरू किया। ग्राम बोलबोला अब मिल्क रूट से जुड़ने वाला है। इस बदलाव के पीछे छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के तहत बनाया गया गौठान की महती भूमिका है। आदिवासी बहुल कोण्डागांव जिले में दुग्ध उत्पादन की कमी को देखते हुए जुलाई 2022 शासन ने हमर गरूवा हमर गौठान कार्यक्रम चलाया गया। पहले चरण में कोण्डागांव के नजदीक बोलबोला ग्राम पंचायत को चुना गया। कोण्डागांव जिले में मुख्यमंत्री बघेल द्वारा वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गाय खरीदने के लिए राशि दी गई।

दुग्ध की बिक्री से 13 हजार रूपए की आय:

अब बोलबोला ग्राम पंचायत गांव में दुग्ध की कमी नहीं है बल्कि यहां से अब कोण्डागांव और आस-पास के गांवों में दुग्ध विक्रय के लिए जाने लगा है। दुग्ध की बिक्री से प्रतिदिन गौठान से जुड़े समूह को करीब 13 हजार रूपए मिल रहे हैं। गौठान में प्रतिदिन 640 किलो गोबर की भी बिक्री की जा रही है। गोबर से 1280 रूपए की अतिरिक्त आमदनी मिल रही है। गौमूत्र से कीटनाशक बनाने के लिए जल्द काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। बोलबोला गांव की सफलता से प्रेरित होकर छोटे बंजोड़ा ग्राम पंचायत में भी दुग्ध उत्पादन की ओर अग्रसर होने जा रहे हैं।

दुग्ध की बिक्री

गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार :

ग्राम पंचायत के सरपंच रत्नूराम पोयाम ने बताया कि गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति तो बढ़िया हुई ही है। गांव के बच्चों के स्वास्थ्य में भी सुधार आया है। इसके साथ ही यहां के लोगों का दुग्ध का उपभोग भी बढ़ा है। पशुपालक पिलसाय और केशूराम मरकाम बताते हैं कि हमारे गांव के लिए हर तरह से सुखद बदलाव आ रहे हैं। समूह की महिलाओं के पास पैसा आया है। मिल्क रूट से जुड़ने की संभावनाओं के चलते आर्थिक आय और भी बढ़ेगी। गांव में हम लोग नैपियर घास आदि भी लगा रहे हैं जिससे हमारी गायों का दुग्ध उत्पादन भी काफी बढ़ा है। सरकार की योजनाओं से हमारे गांव को नई दिशा मिली है।

नैपियर घास

मावा बोलबोला कोंडानार डेयरी प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति:

नई रोशनी स्वसहायता समूह (Self Help Group) के सदस्यों ने मिलकर फार्मर इंट्रेस्ट ग्रुप (Farmer Interest Group) बनाया है और समिति का नाम है मावा बोलबोला कोंडानार डेयरी प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति (Mawa Bolbola Kondanar Dairy Primary Milk Producers Cooperative Society) बनाई है। कोण्डागांव जिला प्रशासन ने जिले के गौठानों को दुग्ध क्रांति केन्द्र (Milk Revolution Center) के रूप में विकसित करने के लिए योजना बनायी जा रही है। गौठानों को मिल्क रूट (Milk Route) से जोड़ने के साथ ही दुग्ध उत्पादकों की सहकारी समिति बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया गया है। बोलबोला ग्राम में चिलिंग प्लांट प्रारंभ करने की तैयारी है। साथ ही दुग्ध की बिक्री के लिए जिला मुख्यालय में आउटलेट खोलने की योजना है।

स्वसहायता समूह

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