दिल्‍ली एम्स के डायरेक्‍टर ने ब्लैक फंगस के बारे में दी यह अहम जानकारी
दिल्‍ली एम्स के डायरेक्‍टर ने ब्लैक फंगस के बारे में दी यह अहम जानकारी Social Media
भारत

दिल्‍ली एम्स के डायरेक्‍टर ने ब्लैक फंगस के बारे में दी यह अहम जानकारी

Author : Priyanka Sahu

दिल्‍ली, भारत। देशभर में एक तरफ महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई जारी है, तो दूसरी ओर देश में अब एक-एक करके नई बीमारियां जन्म लेती ही जा रही हैं। कोरोना की आफत के दौर में अभी तक ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस का रोग धीरे-धीरे फैल ही रहा कि, एक और यलो फंगस के मामले सामने आने लगे। इस बीच आज सोमवार को एम्स के डायरेक्‍टर रणदीप गुलेरिया ने फंगल इन्फेक्शन के बारे में अहम जानकारी दी है।

क्‍या एक-दूसरे में फैलता है ब्लैक फंगस :

ब्लैक फंगस एक-दूसरे में फैलता है या नहीं इस बारे में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने साफ कहा- ब्लैक फंगस एक दूसरे में नहीं फैलता है। ऑक्सीजन के जरिए ब्लैक फंगस नहीं फैलता है। 92-95% जिनमें फंगस दिखा उनको या तो डायबिटीज है या फिर स्ट्रोरॉयड यूज किया गया है। कई मरीज जो घर में रह रहे थे और शुगर कंट्रोल नहीं था और उन्होंने स्ट्रोरॉयड लिए, उसमें भी ब्लैक फंगस देखा गया। ऑक्सीजन ही एक बड़ा फैक्टर नहीं है, साफ-सफाई रखना बेहद जरूरी है। ऑक्सीजन इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसके ट्यूब साफ हो।

कोरोना की चपेट में आ चुके डायबिटीज से पीड़‍ित लोगों को यह फंगल इंफेक्‍शन होने का ज्‍यादा खतरा है और जिन लोगों की इम्‍यूनिटी कम होती है, उन्‍हें ब्‍लैक फंगस चपेट में लेता है। यह फेंफड़े, नाक, पाचन तंत्र में पाया जाता है।
एम्‍स के डायरेक्‍ट रणदीप गुलेरिया

ब्‍लैक फंगस के लक्षण :

एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया- सिर में दर्द, एक तरफ आंख में सूजन, नाक बंद होना, चेहरे का एक ओर सुन्‍न होना इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं, जिन लोगों को डायबिटीज है या स्‍टेरॉयड ले रहे हैं, अगर उन्‍हें ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्‍हें तुरंत डॉक्‍टरी परामर्श लेकर टेस्‍ट करना चाहिए। ब्‍लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लिहाजा, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। इस इंफेक्‍शन का ट्रीटमेंट जल्‍दी शुरू कर देने का फायदा होता है।

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा, ''ब्लैक फंगस ज्यादातर मरीजों को शुरुआती स्टेज में हो रहा है, जिनको म्यूकरमायोसिस कोविड के वक्त होता है, ऐसे में अस्पताल के लिए चुनौती बढ़ जाती है। अस्पताल के लिए चुनौती बनी रहती है, क्योंकि उसका इलाज कई हफ्ते चलता है। कोविड पॉजिटिव में अग्रेसिव सर्जरी करने पर मौत की संभावना रहती है। कई बार कोरोना मरीज जिनमें ब्लैक फंगस रहता है, वो अगर निगेटिव पाए जाते हैं, तो दूसरे वॉर्ड में शिफ्ट करना पड़ता है। ऐसे में ब्लैक फंगस मरीजों के लिए दो वॉर्ड बनाए गए हैं, एक जहां पर ब्लैक फंगस के पॉजिटिव कोविड मरीज हैं, जबकि दूसरा जहां पर ब्लैक फंगस के निगेटिव मरीज हैं।''

बच्चों में कोविड संक्रमण पर गुलेरिया का कहना :

बच्चों में कोविड संक्रमण के बारे में डॉ. गुलेरिया यह भी बताया- कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा।

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