अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के समापन सत्र में अमित शाह
अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के समापन सत्र में अमित शाह  Raj Express
दिल्ली

अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के समापन सत्र में अमित शाह, कानून को लेकर कहीं ये बड़ी बातें...

Priyanka Sahu

दिल्ली, भारत। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज 'अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023' के समापन सत्र को संबोधित किया।

अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के समापन सत्र में अमित शाह ने कहा, मोदी जी के नेतृत्व में 9 वर्ष में भारत सरकार ने ढेर सारे बदलाव कानूनों में किये हैं। बीते 9 सालों में आर्बिट्रेशन लॉ, मिडियेशन लॉ और जनविश्वास बिल, इन तीनों कानूनों ने एक प्रकार से न्यायपालिका पर बोझ कम करने का काम किया है। मोदी सरकार द्वारा जन विश्वास बिल के अंदर 300 कोड को एलिमिनेट कर सिविल लॉ में ट्रान्सफॉर्मेशन लाया गया है।

शक्ति के बिना न्याय शक्तिविहीन होता है और न्याय के बिना शक्ति अत्याचारी हो जाती है। न्याय ही है, जो बैलेंस बना कर रखता है और हमारे संविधान निर्माताओं ने इसे अलग रखने का सुविचारित निर्णय लिया। न्याय और हर प्रकार की शक्ति का संतुलन बहुत आवश्यक है, तभी न्यायपूर्ण समाज की रचना हो सकती है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह

अमित शाह द्वारा कहीं गई बातें-

  • कानून बनाने का उद्देश्य एक सुचारू व्यवस्था खड़ी करना है, न कि कानून बनाने वालों की सुप्रीमेशी एस्टेब्लिश करना। इसलिए इन कानूनों में जो बदलाव हो रहे हैं वो इन्हें और रेलेवेंट बना रहे हैं।

  • चाहे जीएसटी हो या इनसॉल्वेंसी एक्ट हो, इनके अंदर जो बदलाव हो रहे हैं, वे इनके इम्प्लीमेंटेशन में आने वाली दिक्कतों के कारण किये जा रहे है। कोई भी कानून अपने अंतिम स्वरुप में नहीं होता, समय और उसके इम्प्लीमेंटेशन में आई दिक्कतों को समझकर उसे सुधारना चाहिए।

  • इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड ने हमारे बदलते हुए अर्थतंत्र को विश्व के साथ खड़ा करने का काम किया है। सम्पूर्ण न्याय की व्यवस्था तभी समझ में आ सकती है, जब आप समाज के हर अंग को छूने वाले कानूनों की आप स्टडी करोगे।

  • क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में तीन नए कानून आ रहे हैं। ये कानून लगभग 160 साल बाद पूरी तरह से नई दृष्टिकोण और नई व्यवस्था के साथ आ रहे हैं। नई इनिशिएटिव के साथ कानून के अनुकूल इकोसिस्टम बनाने के लिए भी 3 इनिशिएटिव सरकार की ओर से लिये गए हैं।

  • पहला ई-कोर्ट, दूसरा ICJS और तीसरा इन तीनों कानूनों में नई टेक्नोलॉजी को जोड़ना। तीन कानून और तीन व्यवस्थाओं के आने से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में जो देरी होती है, उसे एक दशक से कम समय में हम दूर कर पाएंगे।

  • भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर कॉलोनियल लॉ की छाप थी। तीनों नए कानूनों में कॉलोनियल छाप नहीं बल्कि भारत की मिट्टी की महक है। इन तीनों कानूनों के केंद्र बिंदु में नागरिकों के संवैधानिक व मानवाधिकारों के साथ-साथ उसकी स्वयं की रक्षा करना है।

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