कोरोना आपदा में दिल्ली सरकार ने केंद्र से मांगी करोड़ों की मदद
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दिल्ली

कोरोना आपदा में दिल्ली सरकार ने केंद्र से मांगी करोड़ों रूपये की मदद

Author : Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। कोरोना वायरस की महामारी के जारी कहर के चलते अभी तक देश में 4 बारे लॉकडाउन हो चुका है और इस बार लॉकडाउन 5.0 के तहत अनलॉक किया गया है। इस आपदा की घड़ी में कई आर्थिक नुकसान हुए हैं और परेशानियां बढ़ गई है। इसी बीच दिल्ली पर आर्थिक संकट के बादल ऐसे छाए की दिल्‍ली सरकार को तत्‍तकाल ही केंद्र की मोदी सरकार से मदद की गुहार लगानी पड़ी।

5 हजार करोड़ की मांगी मदद :

इस बारे में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा आज रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि, उनके पास स्टाफ को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं। हमें उन शिक्षकों, डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ को सैलरी देनी है, जो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं, इसलिए तत्‍काल 5 हजार करोड़ की मदद करें।

मैंने केंद्रीय वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखकर दिल्ली के लिए 5 हज़ार करोड़ रुपए की राशि की माँग की है, कोरोना व लॉकडाउन की वजह से दिल्ली सरकार का टैक्स कलेक्शन क़रीब 85% नीचे चल रहा है, केंद्र की ओर से बाक़ी राज्यों को जारी आपदा राहत कोष से भी कोई राशि दिल्ली को नहीं मिली है।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा अपने ट्विटर अकांउट से भी ट्वीट साझा कर बताया है। साथ ही इस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मदद के लिए ट्वीट किया और कहा- केंद्र सरकार से निवेदन है कि आपदा की इस घड़ी में दिल्ली के लोगों की मदद करे।

दिल्ली सरकार के राजस्व का रिव्यू :

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने ये बात भी कही कि, दिल्ली सरकार के राजस्व का रिव्यू किया है। अभी दिल्ली सरकार को सैलरी देने व जरूरी खर्चों के लिए 3500 करोड़ रुपये की जरूरत है। लॉकडाउन की वजह से बंद दुकानों का असर अब सरकार के फंड पर भी पड़ रहा है, पिछले दो महीनों में टैक्स कलेक्शन सिर्फ 500 करोड़ रुपये रहा है। अभी तक कुल 1735 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है, जबकि अभी तक 7000 करोड़ रुपये का राजस्व आना था। अन्य स्रोतों से 1735 करोड़ रुपये आए हैं जबकि राजधानी को दो महीनों के भीतर 7 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है।

बता दें कि, एक वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू रहा, जिसका असर अब देखने को मिलने लगा है, क्‍योंकि आम जनजीवन ठहर गया। साथ ही किसी भी तरह की व्यवसायिक गतिविधियों भी बंद थीं, जिससे अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा नुकसान हुआ है।

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