लैंगिक समानता सभी तरह की समानताओं का सार : जगदीप धनखड़
लैंगिक समानता सभी तरह की समानताओं का सार : जगदीप धनखड़ Raj Express
दिल्ली

लैंगिक समानता सभी तरह की समानताओं का सार : जगदीप धनखड़

राज एक्सप्रेस

हाइलाइट्स :

  • भारत 2047, जब राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, हम शिखर पर होंगे।

  • महिलाओं की भागीदारी से निश्चित रूप से नीतियों के निर्माण में शासन को मदद मिलेगी।

  • कोई भी महिला प्रतिनिधियों के लिए निमित्त सीट पर कब्जा करने का साहस नहीं करता।

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लैंगिक समानता को सभी तरह की समानताओं का सार-तत्व करार देते हुए गुरुवार को कहा कि यदि लैंगिक समानता नहीं है तो समाज में कोई भी समानता नहीं हो सकती।

उपराष्ट्रपति ने आज यहां मिरांडा हाउस काॅलेज के प्लेटिनम जुबली समारोह में "भारतीय संसद में महिलाओं की भूमिका" विषय पर अपने संबोधन में कहा कि यह लैंगिक समानता सार-तत्व में होनी चाहिए, केवल रूप में नहीं, और इसकी अभिव्यक्ति जमीनी वास्तविकता के रूप में होनी चाहिए।

संसद में महिलाओं की भूमिका बहुत बड़ी है, और उनकी उपस्थिति अपने आप में विधानमंडलों के माहौल में उत्साह भर देंगी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं की भागीदारी से निश्चित रूप से नीतियों के निर्माण में शासन को मदद मिलेगी जिससे विभिन्न मुद्दों का समाधान होगा। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने को इतिहास में एक युगांतकारी घटना बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, "यह एक महान घटनाक्रम है जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारत 2047, जब राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, हम शिखर पर होंगे।"

उन्होंने कहा कि जब राज्यसभा ने महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा की तो उन्होंने उच्च सदन का नेतृत्व करने के लिए 17 महिला सांसदों का चयन किया। उपराष्ट्रपति ने छात्राओं से अपील की कि वे कभी भी खुद को पिछली बेंच या बैकफुट पर न रहने दें। उन्होंने कहा, “दुनिया आपकी है, विश्व को आकार आपको देना होगा। आज, भारतीय महिलाएं वैश्विक संस्थानों में शक्तिशाली पदों पर आसीन हैं, जो हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है।” वर्ष 2019 के आम चुनावों में लोकसभा में सबसे अधिक संख्या में महिला सांसदों के चुने जाजगदीप धनखड़ ने इस सफलता का श्रेय पिछले वर्षों में प्रधानमंत्री द्वारा की गई विभिन्न महिला सशक्तीकरण पहलों को दिया। उन्होंने कहा कि 'सरपंच पति' की अवधारणा बहुत हद तक समाप्त हो गई है। अब कोई भी महिला प्रतिनिधियों के लिए निमित्त सीट पर कब्जा करने का साहस नहीं करता।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाएं अपने परिवार, समाज, बच्चों और बुजुर्गों के लिए बहुत त्याग करती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा , "अपने जेंडर के प्रति न्याय करना मेरे जेंडर के साथ स्वत: न्याय होगा।ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका जेंडर सद्गुण, उदात्तता और सेवा का प्रतीक है। भगवान ने आपको ऐसी क्षमताएं प्रदान की हैं जो आपको दूसरों की मदद करने का अवसर देती हैं।"

महात्मा गांधी को संदर्भित करते हुए उन्होंने कहा, "जब तक भारत में महिलाएं सार्वजनिक जीवन में भाग नहीं लेंगी, देश का उद्धार नहीं हो सकता, "उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारे बापू का सपना सच हो रहा है।

हाल के वर्षों में महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए, जगदीप धनखड़ ने कहा कि “रक्षा बलों में लड़कियां लड़ाकू पदों पर हैं। सैनिक स्कूलों में अब लड़कियों को भी प्रवेश मिल रहा है। आप बदलाव की प्रतीक हैं, आप परिवर्तन को उत्प्रेरित कर रही हैं।"

इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज प्रोफेसर बलराम पाणि, मिरांडा हाउस की गवर्निंग बॉडी की अध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर प्रोफेसर रजनी अब्बी, मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल प्रोफेसर बिजयलक्ष्मी नंदा, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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