Gyanvapi : सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा इलाहाबाद HC का आदेश
Gyanvapi : सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा इलाहाबाद HC का आदेश  Raj Express
दिल्ली

Gyanvapi पर सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • मुस्लिम पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत।

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई थी याचिका।

  • व्यास का तहखाना में जारी रहेगी हिन्दुओं द्वारा की जाने वाली पूजा।

Gyanvapi Case : दिल्ली। ज्ञानवापी (Gyanvapi) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है। हिन्दू पक्षकारों को ज्ञानवापी (Gyanvapi) में व्यास के तहखाने में पूजा करने के लिए वाराणसी जिला अदालत ने अनुमति दी थी। इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला अदालत का फैसला बरकरार रखा था। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। अब सोमवार (1 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि, 17 जनवरी और 31 जनवरी (तहखाना के अंदर पूजा की अनुमति) के आदेशों के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा ज्ञानवापी (Gyanvapi) मस्जिद में बिना किसी बाधा के 'नमाज' पढ़ी जाती है। हिंदू पुजारी द्वारा 'पूजा' की जाती है। 'व्यास का तहखाना' (Vyas Ka Tahkhana) में यथास्थिति बनाए रखना उचित है ताकि दोनों समुदाय उपरोक्त शर्तों के अनुसार पूजा करने में सक्षम हो सकें।

बता दें कि, पिछले आदेशों को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 'व्यास तहखाना' (Vyas Ka Tahkhana) के अंदर देवी - देवताओं की 'पूजा' पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी (Gyanvapi) मस्जिद समिति की अपील पर हिंदू वादी को नोटिस भी जारी किया है। इस नोटिस का जवाब 30 अप्रैल तक देना होगा।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, "आज सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई हुई। व्यास परिवार की ओर से वाराणसी जिला न्यायालय में जो आवेदन दिया गया था, जिसमें 31 जनवरी 2024 से 'व्यास का तहखाना' में पूजा करने की अनुमति दी गई थी। उसके खिलाफ मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाया। आज अंजुमन इंतजामिया इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आया था। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस केस में नोटिस जारी किया है और हमें 30 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करना है। पूजा पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।"

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