Kanhaiya Kumar Sedition Case
Kanhaiya Kumar Sedition Case Social Media
दिल्ली

चार साल पुराना 'देशद्रोह' का मामला सुर्खियों में...हो रही राजनीति

Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। दिल्‍ली में चार साल पुराना एक मामला इस वक्‍त काफी सुर्खियों में है, यह मामला 'देशद्रोह' से जुड़ा हुआ है और इसपर राजनीति होना भी शुरू हो गई है। जानें आखिर क्‍या है यह मामला?

चार साल पुराना मामला सुर्खियों में क्‍यों?

दरअसल इसका कारण यह है कि, दिल्‍ली सरकार द्वारा दिल्ली पुलिस को देशद्रोह के चार साल पुराने एक मामले में जवाहर लाल नेहरू (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाये जाने के लिए मंजूरी दे दी है।

दिल्ली सरकार द्वारा कन्हैया कुमार पर देशद्रोह के मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा कि, "दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वकीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और टीवी वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।"

सेडिशन केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरूरत इसलिए है, ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन कानून का दुरुपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।
कन्हैया कुमार

क्‍यों हो रही राजनीति?

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा कन्हैया कुमार पर देशद्रोह केस की अनुमति दी जाने पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कन्हैया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी देने के बाद इस पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आम आदमी पार्टी (AAP) पर देरी का आरोप लगाया है। वहीं, इस मसले पर आप ने यह बात कही-

इस मामले पर फैसला करने का उनकी सरकार कोई अधिकार नहीं था। कानून का अध्ययन करने के बाद कानून विभाग ने अनुमति दी है।

चिदंबरम ने भी जाहिर की अपनी प्रतिक्रिया :

इतना ही कन्हैया के खिलाफ केस चलाने पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर असहमति जताई है, उन्‍होंने अपने ट्वीट में लिखा- ''दिल्ली सरकार राजद्रोह कानून की समझ को लेकर केंद्र सरकार से कम बीमार नहीं है। कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 120 बी के तहत मुकदमा चलाने के लिए दी गई मंजूरी से मैं पूरी तरह से असहमति जताता हूं।''

इसके अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट में लिखा- ''जनता के दबाव में, आखिरकार दिल्ली सरकार को जेएनयू मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए मजबूर होना पड़ा। तीन साल तक अरविंद केजरीवाल इसे टालते रहे, लेकिन उन्हें जनता के सामने झुकना पड़ा।''

क्‍यों हुआ मुकदमा दर्ज?

बता दें कि, कन्हैया कुमार द्वारा चार साल पहले वर्ष 2016 में 9 फरवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान एक जुलूस की अगुवाई की और देशद्रोही नारे लगाए थे। इसी आरोप के चलते पुलिस ने वर्ष 2016 के इस मामले में कन्हैया कुमार के साथ जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।

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