पतंजलि ने 67 अखबार में माफीनामा छापा
पतंजलि ने 67 अखबार में माफीनामा छापा Raj Express
दिल्ली

पतंजलि ने 67 अखबार में माफीनामा छापा, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या माफीनामा का साइज विज्ञापन जैसा?

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • 30 अप्रैल को होगी केस की अगली सुनवाई।

  • 22 अप्रैल को अख़बारों में प्रकाशित हुआ माफीनामा।

Patanjali Case Hearing In Supreme Court : दिल्ली। पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के MD आचार्य बालकृष्ण सुनवाई के लिए कोर्ट परिसर में मौजूद रहे। रामदेव के वकीलों ने बताया कि, हमने 67 समाचार पत्र में माफीनामा प्रकाशित किया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि, क्या माफीनामा का साइज भी आपके द्वारा पूर्व में जारी किये गए विज्ञापन जैसा था ? इस पर पतंजलि का पक्ष रख रहे वकील ने कहा, 'नहीं मिलॉर्ड, इसकी कीमत बहुत है...लाखों रुपए।' जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस केस की अगली सुनवाई 30 अप्रैल तय की गई है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनाया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच अगली सुनवाई में बड़ी - बड़ी कंपनियों द्वारा भ्रामक स्वास्थ दावों के मुद्दे पर भी जांच कर सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है। यह स्पष्टीकरण एक पत्र से सम्बन्धित है जिसमें राज्यों से औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 के अनुसार आयुष उत्पादों के विज्ञापन के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज करने को कहा गया था।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर भी कोर्ट ने की टिप्पणी :

मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की दो जज बेंच ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से कहा कि, जब आप एक ऊँगली किसी पर उठाते हैं तो चार आप पर भी उठती है। क्योंकि डॉक्टरों (आईएमए सदस्यों) द्वारा कथित अनैतिक आचरण की शिकायतें हैं।

माफीनामा के साइज पर बहस :

सुनवाई के दौरान बेंच ने विज्ञापन के साइज को लेकर कहा कि, हम अखबार में माफीनामा देखना चाहते थे इसका मतलब यह नहीं है कि, हमने आपका माफीनामा अखबार में माइक्रोस्कोप से देखना पड़े।

बता दें कि, 10 अप्रैल की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए उत्तराखंड राज्य के अधिकारियों को भी फटकार लगाई थी।

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