राष्ट्रपति भवन का ‘मुगल गार्डन’ बना ‘अमृत उद्यान’
राष्ट्रपति भवन का ‘मुगल गार्डन’ बना ‘अमृत उद्यान’ Syed Dabeer Hussain - RE
दिल्ली

राष्ट्रपति भवन का ‘मुगल गार्डन’ बना ‘अमृत उद्यान’, जानिए इसका इतिहास

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। केंद्र सरकार ने देश-विदेश के सैलानियों के पसंदीदा ऐतिहासिक ‘मुगल गार्डन’ का नाम बदल दिया है। राष्ट्रपति भवन में बने मुगल गार्डन को अब ‘अमृत गार्डन’ के नाम से जाना जाएगा। नाम बदलने की घोषणा के साथ ही दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों ने ‘मुगल गार्डन’ नाम वाला पुराना बोर्ड भी हटा दिया है। साथ ही राष्ट्रपति भवन ने एक बयान जारी कर बताया है कि, ‘इस साल 31 जनवरी से 30 मार्च तक अमृत उद्यान खोला जाएगा।’

क्या है इसका इतिहास?

दरअसल साल 1911 में अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट दी। ऐसे में वाइसरॉय के रहने के लिए दिल्ली में रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस बनाया गया। इसी वायसराय हाउस को हम वर्तमान में राष्ट्रपति भवन कहते हैं। वायसराय हाउस में साल 1917 में सर लुटियंस ने गार्डन की डिजाइन तैयार की। वहीं साल 1928-29 में यहां प्लांटेशन का काम किया गया।

अलग-अलग प्रजाति के फूल :

अमृत उद्यान में कई प्रजाति के फूल हैं। यहां गुलाब की ही करीब 138 प्रजाति के फूल हैं। इसके अलावा 10,000 से ज्यादा ट्यूलिप और 70 से ज्यादा मौसमी फूल हैं। यहां के खुशबूदार रंग-बिरेंगे देश ही नहीं बल्कि विदेशी सैलानियों को भी काफी आकर्षित करते हैं। यह इतना खूबसूरत है कि सर लुटियंस की पत्नी ने इस गार्डन को ‘स्वर्ग’ बताया था।

मुगल गार्डन नाम कैसे पड़ा?

दरअसल मुगलों के शासनकाल में देशभर में कई बाग-बगीचों का निर्माण करवाया गया। सर एडवर्ड लुटियंस ने इस गार्डन को इस्लामी विरासत के साथ ब्रिटिश कौशल को समाहित करके तैयार करवाया था। इसका डिजाइन ताजमहल के बगीचों, जम्मू-कश्मीर के बगीचों और भारत व फारस के लघु चित्रों से प्रेरित था। यही कारण है कि इसका नाम मुगल गार्डन रखा गया था।

आम लोगों के लिये खुलता है गार्डन :

बता दें कि हर साल बसंत ऋतु में इस गार्डन को आम लोगों के लिए खोला जाता है। आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस प्रथा की शुरुआत की थी। उन्होंने ही पहली बार इस गार्डन को आम लोगों के देखने के लिए खोला था।

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