पा सांसद डिंपल यादव और कांग्रेस सांसद शशि थरूर
पा सांसद डिंपल यादव और कांग्रेस सांसद शशि थरूर  RE
दिल्ली

सांसदों के निलंबन पर कई नेताओं का बयान, डिंपल यादव ने कहा- यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण

Sudha Choubey

हाइलाइट्स-

  • आज लगभग 40 से ज्यादा सांसदों को किया गया निलंबित।

  • सांसदों के निलंबन पर कई नेताओं ने बयान दिया है।

  • डिंपल यादव ने कहा- यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

दिल्ली, भारत। संसद की सुरक्षा में सेंधमारी पर केंद्रीय गृहमंत्री के बयान की मांग कर रहे विपक्ष का हंगामा जारी है। लोकसभा में चेयर के अपमान करने वाले कई सांसदों को आज फिर सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर, सपा सांसद डिंपल यादव और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले का नाम भी शामिल है। वहीं, इस मामले पर कई नेताओं ने बयान जारी किया है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कही यह बात:

लोकसभा से 40 से ज्यादा सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि, "यह स्पष्ट है कि वे विपक्ष-मुक्त लोकसभा चाहते हैं और वे राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही करेंगे। आज, अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, मैं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ लेकिन जो भी उपस्थित थे, उन्हें शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि वे बिना किसी चर्चा के अपने विधेयकों को पारित करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है।"

सपा सांसद डिंपल यादव ने कही यह बात:

विपक्षी सांसदों निलंबन पर सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि, "आज लगभग 40 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए हैं। कल भी लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर 80 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जो वातावरण हम देख रहे हैं, जहां हम संसद में अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं, वह सरकार की पूरी विफलता को दर्शाता है।"

अधीर रंजन चौधरी का कहना:

विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, "यह संसद के अंदर अराजकता के अलावा और कुछ नहीं है। उन्हें हमारे देश की संसदीय प्रणाली पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है। इसलिए संसद में अराजकता, अराजकता और अराजकता के अलावा कुछ नहीं है।"

वहीं, विपक्षी सांसदों के निलंबन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "यह सरकार सही बात सुनना नहीं चाहती है। भाजपा से यह पूछना चाहिए कि वे लोकतंत्र का मंदिर बोलते हैं। हम सब अपने भाषणों में लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं। ये किस मूंह से इसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, जब ये विपक्ष को बाहर कर रहे हैं। अगर ये दूसरी बार सरकार में आ गए तो यहां बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान नहीं बचेगा।"

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