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दिल्ली

शिवसेना विधायकों की अयोग्यता विवाद पर 7 मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Author : Deeksha Nandini

हाइलाइट्स

  • यूबीटी गुट ने लगाई थी शीघ्र सुनवाई करने की गुहार।

  • याचिका में विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को बताया गैरकानूनी।

दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 7 मार्च को सुनवाई होगी। यूबीटी गुट की ओर से शीघ्र सुनवाई करने की गुहार लगाई थी जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले को 7 मार्च को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

विधानसभा अध्यक्ष ने 10 जनवरी को सभी अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया और शिंदे के समूह को असली शिवसेना घोषित कर दिया था। यूबीटी समूह की ओर सुनील प्रभु ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में तर्क दिया गया कि विधानसभा अध्यक्ष का आदेश गैरकानूनी और विकृत थे।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अध्यक्ष के फैसले में मुख्य निर्विवाद घटना यानी 30 जून 2022 को शपथ ग्रहण पर भी विचार नहीं किया गया है। उनकी याचिका में कहा गया है, ''शिंदे ने राज्यपाल से मुलाकात की और 30 जून 2022 को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। अयोग्यता का इससे स्पष्ट मामला नहीं हो सकता था।'' याचिका में कहा गया है कि दसवीं अनुसूची का उद्देश्य उन विधायकों को अयोग्य ठहराना है जो अपने राजनीतिक दल के खिलाफ काम करते हैं। यह पूरी तरह से संवैधान के खिलाफ है। इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।''

याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिकांश विधायकों को राजनीतिक दल की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाला मानकर विधानसभा अध्यक्ष ने वास्तव में विधायक दल को राजनीतिक दल के बराबर मान लिया है, जो कि सुभाष देसाई के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून के दायरे में है।

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