रवींद्रनाथ टैगोर
रवींद्रनाथ टैगोर Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

जयंती : क्या ब्रिटेन के राजा के सम्मान में रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था ‘जन गण मन’? जानिए सच्चाई

Priyank Vyas

Rabindranath Tagore : भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश और श्रीलंका की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर की आज जयंती है। नोबेल पुरुस्कार जीतने वाले पहले भारतीय रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को बंगाली परिवार में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन में ढेरों उपलब्धियां हासिल की। खासकर उन्हें भारत का राष्ट्रगान लिखने के लिए याद किया जाता है। हालांकि बहुत कम लोग जानते होंगे कि रवींद्रनाथ टैगोर के द्वारा लिखे गए ‘जन गण मन’ को लेकर अक्सर विवाद उठता रहता है। कई लोग हैं, जो इसमें बदलाव की मांग करते आए हैं।

क्या है विवाद?

दरअसल ‘जन मन गण’ को लेकर अक्सर कहा जाता है कि रवींद्रनाथ टैगोर ने यह गीत इंग्लैंड के तत्कालीन राजा जॉर्ज पंचम के सम्मान में लिखा था। इस गीत में ‘अधिनायक’ और ‘भारत भाग्य विधाता’ जैसे शब्दों का प्रयोग ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तारीफ़ करने के लिए प्रयोग किया गया था। कहा तो यह भी जाता है कि साल 1911 में जब जॉर्ज पंचम भारत आए थे, तब कांग्रेस के अधिवेशन में जॉर्ज पंचम के सम्मान में पहली बार यह गीत गाया गया था।

क्या है सच?

दरअसल साल 1911 में हुए कांग्रेस अधिवेशन में 2 गीत गए थे। पहला गीत रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया ‘जन गण मन’ और दूसरा गीत रामभुज चौधरी द्वारा लिखा गया ‘बादशाह हमारा’। असल में दूसरा गीत जॉर्ज पंचम के सम्मान में गाया गया था। उस समय रवींद्रनाथ टैगोर जाने-माने कवि थे जबकि रामभुज को बहुत कम लोग जानते थे। यही कारण है कि अगले दिन ब्रिटिश अख़बारों में छपा की, ‘जॉर्ज पंचम के सम्मान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया गीत गाया गया।’ धीरे-धीरे यह अफवाह फ़ैल गई कि ‘जन गण मन’ ब्रिटिश राजा के सम्मान में लिखा गया था।

टैगोर को देनी पड़ी सफाई :

आगे चलकर खुद रवींद्रनाथ टैगोर ने इस पूरे मामले में सफाई दी थी। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया था कि, ‘एक ब्रिटिश ऑफिसर ने जॉर्ज पंचम के सम्मान में गीत लिखने के लिए उनसे कहा था लेकिन मुझे उसकी बात पर गुस्सा आ गया था। इसके बाद ही मैंने ‘जन गण मन’ लिखा था।’ वहीं ‘भारत भाग्य विधाता’ को लेकर हुए विवाद पर टैगोर ने कहा था कि, ‘इसके दो ही मतलब हो सकते है – पहला देश की जनता और दूसरा भगवान। जॉर्ज पंचम कतई भाग्य विधाता नहीं हो सकते।’

आज भी उठता है विवाद :

हालांकि यह भी सच है कि रवींद्रनाथ टैगोर की सफाई के बावजूद आज भी ‘जन गण मन’ को लेकर विवाद उठता रहा है। सुब्रमण्यम स्वामी सहित कई लोग ‘जन गण मन’ की इन लाइन में बदलाव करने की मांग कर चुके हैं।

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