भारत में ईंधन की मांग कम से कम 24 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर
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फरवरी में 24 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची ईंधन की मांग

Author : Shravan Mavai

दिल्ली। फरवरी माह में भारत की ईंधन मांग 24 वर्षों के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सस्ते रूस से आने वाले तेल से औद्योगिक गतिविधि को बढ़ावा मिला। जिससे फरवरी में ईंधन की खपत में पांच फीसदी का उछाल आया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल के संकलित आकंड़ों के मुताबिक इससे पहले साल 1998 में सबसे ज्यादा ईंधन की मांग दर्ज की थी। ईंधन की मांग में यह उछाल रूस से आयात हो रहे सस्ते तेल के चलते आया है।

आंकड़ों के अनुसार फरवरी में पेट्रोल की बिक्री सालाना आधार पर 8.9 प्रतिशत बढक़र 2.8 मिलियन टन हो गई, जबकि डीजल की खपत 7.5 प्रतिशत बढक़र 6.98 मिलियन टन हो गई। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जेट ईंधन की बिक्री 43 प्रतिशत से अधिक बढक़र 0.62 मिलियन टन हो गई। इसके अलावा एलपीजी की मांग में 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

अप्रैल, मई तक घटेगी मांग

वुड मैकेंजी के रिफाइनिंग, केमेकिल और ऑयल मार्केट के वाइस प्रेसिंडेंट एलन गेल्डर ने कहा कि 2023 में जेट फ्यूल की सबसे ज्यादा मांग होगी। इसके बाद पेट्रोल और उसके बाद डीजल, गैस ऑयल की होगी। फरवरी में पेट्रोल और डीजल की कुल मात्रा में जनवरी के मुकाबले फरवरी में गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि, इसकी रोजाना की खपत बढ़ी है। वहीं, रसोई गैस की बिक्री 0.1 फीसदी गिरकर 2.39 मिलियन टन रह गई है। kpler के लीड क्रूड एनालिस्ट विक्टर कैटोना ने अनुसार फरवरी में रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल आयात किया गया। ऐसे में मांग बढऩे की और भी ज्यादा संभावना है। वहीं, मार्च में ये मांग प्रतिदिन 5.18 मिलियन बैरल हो सकती है। वहीं, अप्रैल और मई में ये मांग घटकर प्रति दिन पांच मिलियन बैरल हो सकती है।

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