महिला आरक्षण मामले मे सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये:आर्य
महिला आरक्षण मामले मे सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये:आर्य Social Media
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महिला आरक्षण मामले में सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये : यशपाल आर्य

News Agency

नैनीताल। उत्तराखंड विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने राज्य आंदोलनकारियों के बाद महिला आरक्षण निरस्त होने के मामले को बेहद दुखद बताते हुए सोमवार को प्रदेश सरकार पर हमला बोला और कहा कि राज्य सरकार इसमें असफल रही है तथा इस मामले पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। श्री आर्य ने अपने बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार की सैकड़ों अधिवक्ताओं की फौज भी इन दो विशिष्ट वर्गों को मिलने वाले आरक्षण की सही ढंग से पैरवी नहीं कर पायी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में अध्यादेश या विधेयक के माध्यम से कानून नहीं बना पायी है।

उन्होंने कहा कि हाल के उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में मिल रहा 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण समाप्त हो गया है। इसी तरह से कुछ साल पहले राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में मिलने वाला आरक्षण भी उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद निरस्त हो गया था। राज्य में पूर्ववर्ती कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार ने राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला किया था। सरकार के इस निर्णय से हजारों महिलायें लाभान्वित हुईं लेकिन वर्तमान सरकार न्यायालय में राज्य की महिलाओं के हितों की रक्षा करने में असफल रही।

श्री आर्य ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 16(4) राज्य सरकार को उन पिछड़े वर्गों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण देने की शक्ति प्रदान करता है जिनका राज्य की सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। राज्य सरकार की सभी सेवाओं में 50 प्रतिशत जनसंख्या के अनुपात में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, इसलिये कांग्रेस सरकार ने राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया था। उन्होंने सरकार से अविलंब राज्य की विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर महिलाओं को राज्य की सेवाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पारित करने की मांग की है।उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार सत्र नहीं बुला पा रही है तो महामहिम राज्यपाल के अध्यादेश के माध्यम से महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। सरकार बाद में इसे विधानसभा में कानून के रूप में पास करवा सकती है।

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