संकट की घड़ी में बेवजह राजनीति न करें विपक्ष : सीएम मनोहर लाल
संकट की घड़ी में बेवजह राजनीति न करें विपक्ष : सीएम मनोहर लाल Social Media
हरियाणा

संकट की घड़ी में बेवजह राजनीति न करें विपक्ष : सीएम मनोहर लाल

Author : Rishabh Jat

राज एक्सप्रेस। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कोरोना संकट की घड़ी में विपक्षी पार्टी के नेताओं को बेवजह राजनीति न करने की सलाह देते हुए कहा कि यह घड़ी साथ मिलकर इस माहामारी से लड़ने की है। जैसा कि नेता प्रतिपक्ष सहित सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में सभी ने सरकार के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया था, परंतु कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा व पूर्व विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला जले पर नमक छिड़कने की बात कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना माहमारी से लड़ने के लिए किए गए प्रबंधों की देश में सराहना होती देख वे स्वयं ही ईर्ष्या के कारण ऐसे बयान दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग, प्रदेश की जनता ने जिस सूझबूझ से सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर सरकार का साथ दिया है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। जिसके फलस्वरूप हरियाणा में काफी हद तक कोरोना को नियंत्रित किया जा सका है।

सीएम मनोहर लाल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पता नहीं वे किस मुंह से सरकार से हिसाब मांगने की बात कर रहे हैं। प्रदेश की जनता, सामाजिक संस्थाओं व सरकार के सभी मंत्री और विधायकों व पूर्व विधायकों ने आगे बढ़ कर हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में अंशदान दिया है। जबकि रणदीप सुरजेवाला हरियाणा विधानसभा से 1 लाख 68 हजार मासिक पेंशन ले रहे हैं और पिछली बार विधायक रहते हुए पाँच साल के कार्यकाल में केवल 7 बार हरियाणा विधानसभा सत्र में आए और उन्होंने कुल 1 करोड़ 12 लाख रुपये लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार की बयानबाजी कर के वह अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता और संदिग्ध मंशा का परिचय दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में लाखों राशन व खाने के पैकेट गरीब लोगों को बांटे जा रहे हैं और रणदीप सुरजेवाला ने पता नहीं इसमें योगदान दिया भी या नहीं।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कांग्रेस सरकार द्वारा की गई पिछले 10 वर्षों की गलतियों को पहले भी सुधारा और अब भी सुधार रहे हैं। उन्होंने कहा कि अतिथि अध्यापकों के बारे में कांग्रेस सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एफिडेविट दिया था कि वे अतिथि अध्यापकों को एक दिन भी सेवा में नहीं रखेंगे जबकि हमारी सरकार ने अतिथि अध्यापकों की सेवाएं बरकरार रखीं और 4 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया।

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