दलाई लामा के जन्मदिन समारोह
दलाई लामा के जन्मदिन समारोह  Social Media
भारत

दलाई लामा के जन्मदिन समारोह में वर्चुअली शामिल हुए CM जयराम ठाकुर, कही यह बात

Sudha Choubey

हिमाचल प्रदेश, भारत। आज बुधवार 6 जुलाई 2022 को तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा (Dalai Lama) का 87वां जन्मदिन है। इस खास मौके पर एक समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हिस्सा लिया।

बता दें कि, जयराम ठाकुर ने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के 87वें जन्मदिन समारोह में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उनको बधाई दी। इससे पहले उनका धर्मशाला जाने का कार्यक्रम था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से वो नहीं जा सके। कोरोना महामारी और दलाईलामा की बढ़ती उम्र के चलते निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री सामदोंग रिंपोछे सहित चुनिंदा लोग ही कार्यक्रम में भाग ले सके।

जयराम ठाकुर ने कही यह बात:

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि, "मैंने धर्मगुरू दलाई लामा जी को फोन कर बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने जिस तरह से सेवा और दया का भाव लोगों के मन में जागृत किया है इससे न केवल तिब्बत के लोगों को बल्कि हर भारतवासी को प्रेरणा मिलती है। यह हमारे लिए प्रसन्नता की बात है।"

वहीं, जयराम ठाकुर ने अपने ट्विटर पर ट्वीट करके कहा कि, "आज आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा जी के जन्मदिवस के पावन मौके पर धर्मशाला में शिमला से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा भाग लिया। धर्मगुरु दलाई लामा जी द्वारा बताए जा रहे सत्‍य,मानवता एवं सदाचार के मार्ग पर सभी को चलने की आवश्यकता है। सभी पर धर्मगुरु दलाई लामा जी का आशीष बना रहे।"

बर्थडे सेलिब्रेशन में पहुंचे हॉलीवुड एक्टर रिचर्ड गेरे:

बता दें कि, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का आज 87वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया जा रहा है। कोरोना महामारी के चलते दलाईलामा दो वर्षों के बाद अपना जन्मदिन लोगों संग मना रहे हैं। इससे पहले कोरोना काल में करीब दो साल तक अपने आवास पर ही रहे। बर्थडे सेलिब्रेशन में हॉलीवुड एक्टर रिचर्ड गेरे ने भी हिस्सा लिया। बता दें, तिब्बती भाषा में 'लामा' को 'ब्ला-मा' कहा जाता है, जिसका मतलब होता है श्रेष्ठतम व्यक्ति। यह शब्द गुरु का ही मूल रूप है, जो सबका मार्गदर्शन करता है।

आपको बता दें कि, दलाई लामा तिब्बतियों पर हो रहे अत्याचार के दौरान 15 दिनों का कठिन सफर पूरा करके 31 मार्च, 1959 को भारत आए थे, तभी से वह तिब्बत की संप्रभुता के लिये संघर्ष कर रहे हैं। वर्तमान में वो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मैक्लोडगंज में रहते हैं।

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