गृह मंत्रालय ने इंडस्ट्रीज के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई पर लगाई रोक
गृह मंत्रालय ने इंडस्ट्रीज के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई पर लगाई रोक Social Media
भारत

गृह मंत्रालय ने इंडस्ट्रीज के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई पर लगाई रोक

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। आज देश में हर किसी के लिए सबसे बड़ी समस्या कोरोना महामारी ही बन गई है, यह अपने आप में एक बड़ी समस्या थी, लेकिन हालत उससे भी बदतर होने थे, इसलिए अब देश को ऑक्सीजन की भारी कमी से बना मौत का मंजर भी देखना पड़ रहा है। इस समस्या को मद्देनजर रखते हुए गृह मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इंडस्ट्रीज के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया है।

गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला :

दरअसल, देश में कोरोना से मच भारी तबाही के बीच गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए इंडस्ट्रीज के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई पर रोक लगा दी है। मंत्रालय ने यह रोक आज से ही लगाई है। इस रोक के बाद अब देशभर में ऑक्सीजन सप्लाई आसानी से तो हो ही सकेगी, साथ ही सरकार की तरफ से छूट मिली इंडस्ट्री को ही ऑक्सीजन की भी सप्लाई होगी। इन आदेशों के तहत कहा गया है कि, आज से औद्योगिक जरूरत के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं की जाएगी।

9 श्रेणियों को छोड़कर नहीं रहेगी रोक :

बताते चलें, गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आदेशों में यह भी कहा गया है कि, सिर्फ 9 श्रेणियों को छोड़कर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले, ऑक्सीजन का निर्माण करने वाले प्लांट और ऑक्सीजन की आवाजाही करने वाले वाहनों पर कोई रोक नहीं होगी। इसी बीच दिल्ली के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। उधर ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर एक और अस्पताल हाई कोर्ट पहुंच चूका है। जबकि अब तक कई अस्पताल पहले ही अपनी अपनी अर्जी हाई कोर्ट में लगा चुके हैं।

कोर्ट में हुई सुनवाई :

बता दें, गुरुवार को ही सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष याचिका दायर की। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार की फटकार लगाई। कोर्ट का कहना है कि, 'यह कैसे मुमकिन है कि सरकार जमीनी हकीकत से इतनी बेखबर हो जाए? हम लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं, कल हमें बताया गया था कि आप ऑक्सीजन खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, उसका क्या हुआ? यह आपातकाल का समय है। सरकार को सच्चाई बतानी चाहिए। साथ ही इससे पहले मैक्स अस्पताल की याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि, 'ऑक्सीजन पर पहला हक मरीजों का है। इंडस्ट्री ऑक्सीजन का इंतजार कर सकती हैं, लेकिन मरीज नहीं। मानवीय जान खतरे में है।'

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