भारत भी तैयार कर रहा इजरायल जैसा देसी आयरन डोम
भारत भी तैयार कर रहा इजरायल जैसा देसी आयरन डोम  Raj Expresss
भारत

दुश्‍मनों की अब खैर नहीं, अब भारत भी तैयार कर रहा इजरायल जैसा देसी आयरन डोम

Priyanka Sahu

हाइलाइट्स :

  • इजरायल-हमास युद्ध के बीच भारत बना रहा अपना सुरक्षा कवच

  • भारत भी इजरायल जैसा अपना आयरन डोम कर रहा तैयार

  • दुश्मन की मिसाइलें और रॉकेट अब हवा में ही ध्‍वस्‍त होंगे

  • DRDO विकसित कर रहा हवा में मार करने वाली मिसाइल

दिल्‍ली, भारत। देश के बड़े देशों में अब भारत भी आ चुका है। ऐसे में अब भारत को इजरायल की आयरन डोम प्रणाली का आइडिया पसंद आया है। दरअसल, इजरायल ने एक ऐसा आयरन डोम (Iron Dome) बना रखा है, जो दुश्मन की मिसाइलें और रॉकेट आसमान में ही मार गिरा रहा है। इस बीच अब यह खबर सामने आ रही है कि, इजरायल-हमास युद्ध के बीच अब भारत अपना सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है। दुश्‍मनों की अब खैर नहीं, क्‍योंकि अब भारत देश भी अपना आयरन डोम बनाने की तैयारी में है।

कब तक तैयार होगा भारत का यह मिशन :

भारत का देसी आयरन डोम कब तक तैयार होगा। इस बारे में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत एयर डिफेंस सिस्‍टम डिप्‍लॉय करने की तैयारी में जुटा है, जिससे बनने में 5 साल लगेंगे। आने वाले साल 2028-2029 तक लंबी दूरी के एयर डिफेंस‍ सिस्‍टम को सक्रिय रूप से तैनात करने की योजना बनाने के लिए तैयार है। भारत का देसी एयर डोम सिस्टम इजरायल से ज्यादा शक्तिशाली होगा। ये डिफेंस सिस्टम 350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक आने वाले स्टील्थ लड़ाकू विमानों, विमानों, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों का सटीक पता लगाकर उन्‍हें ध्‍वस्‍त कर देगा। 

DRDO का कहना :

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट कुशा के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वेदशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम विकसित कर रहा है।

  • स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआर-एसएएम) सिस्टम की “इंटरसेप्शन कैपिबिल्टी” हाल ही में एयर फोर्स में शामिल किए गए रूसी एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम जैसी होगी।

  • इस डिफेंस सिस्टम में लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की दूरी पर दुश्मनों के टारेगट को मारने के लिए डिजाइन की गई विभिन्न प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी।

  • रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में व्यापक वायु रक्षा कवर प्रदान करने के लिए, एलआर-एसएएम कम-रडार क्रॉस-सेक्शन वाले उच्च गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ भी प्रभावी होगा।

  • इसका उद्देश्य रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों को व्यापक वायु रक्षा कवर प्रदान करना है। एलआर-एसएएम कम-रडार क्रॉस-सेक्शन वाले उच्च गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ भी प्रभावी होगा।

  • इसे 250 किलोमीटर की दूरी पर लड़ाकू आकार के लक्ष्यों को मार गिराने के लिए तैयार किया जाएगा, जिसमें AWACS (हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली) और मध्य हवा में ईंधन भरने वाले बड़े विमानों जैसे बड़े विमानों को 350 किलोमीटर की दूरी पर रोक दिया जाएगा।

तो वहीं, एक सूत्र के हवाले से यह पता लगा है कि, यह विश्वसनीय ‘क्षेत्रीय वायु रक्षा’ में सक्षम होगा, जिसमें एकल मिसाइल प्रक्षेपण के लिए एकल-शॉट मार गिराने की संभावना 80 फीसदी से कम नहीं होगी और साल्वो प्रक्षेपण के लिए 90 फीसदी से कम नहीं होगी।

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