भारत का पाक को तीखा जवाब, गिलगित-बाल्टिस्तान को फौरन करें खाली
भारत का पाक को तीखा जवाब, गिलगित-बाल्टिस्तान को फौरन करें खाली Priyanka Sahu -RE
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भारत का पाक को तीखा जवाब, गिलगित-बाल्टिस्तान को फौरन करें खाली

Author : Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। इन दिनों पूरे विश्‍व में कोरोना वायरस की महामारी की आपदा के खिलाफ पूरी दुनिया कोविड-19 को हराकर जंग जीतने में लगी है, क्‍योंकि भारत के अलावा भी अन्‍य देश भी 'कोरोना वायरस' की मार झेल रहे है। तो वहीं पाकिस्‍तान की हरकतें भारत को हर कभी परेशान करती है उसकी इसी नापाक हरकतों के कारण अब भारत ने भी पाकिस्‍तान को उसी की भाषा में दो टूक करारा जवाब दिया है और वो भी गिलगित-बाल्टिस्तान मसले पर.... जाने क्‍या है भारत का कहना?

भारत-पाकिस्तान में बढ़ सकता है तनाव :

दरअसल, भारत ने पाकिस्‍तान के एक वरिष्‍ठ राजनायिक को बुलाया और इस मसले पर आज सोमवार को तीखा बयान जारी किया हैं। देखा जाए तो आने वाले दिनों में गिलगिट-बाल्टिस्तान के मसले पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ओर अधिक बढ़ता नजर आ सकता हैं, क्‍योंकि पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिलगिट-बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराने के लिए अनुमति दिए जाने पर भारत ने पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध जताया है।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “चूंकि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है, लिहाजा पाकिस्तान इसे फौरन खाली कर दे। उसका यहां कब्जा गैरकानूनी है। हमने पाकिस्तान के एक सीनियर डिप्लोमैट को तलब कर उन्हें अपना पक्ष बता दिया है।”

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे साफ तौर पर ये बात भी कही कि, हमने पाकिस्तान को साफ बता दिया है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और गिलगित- बाल्टिस्तान कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा हैं। अवैध कब्जे वाले इस हिस्से पर पाकिस्तान सरकार या वहां की अदालतें कोई फैसला नहीं ले सकतीं। भारत इन हरकतों को कभी सहन नहीं करेगा।

पाकिस्‍तान के पास कोई अधिकार नहीं :

इस दौरान भारत ने यह भी साफ बोला है कि, इस मसले पर भारत की स्थिति साल 1994 में संसद में पास हुए प्रस्‍ताव में नजर आई थी, जिसे सर्वसम्‍मति से पास किया गया था। पाकिस्‍तान या फिर इसकी न्‍यायपालिका के पास कोई अधिकार नहीं है कि, वह इस पर गैर-कानूनी और जबरन कब्‍जा करे।

आखिर क्‍या है ये मसला ?

दरअसल बात ये है कि, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार से पिछले सप्ताह गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश वर्ष 2018 के एक कानून में संशोधन करने की अनुमति दी थी और वहां चुनाव कराने को कहा है। इसी बात को लेकर भारत ने भी चुनाव कराने के आदेश पर इस तरह कड़ी आपत्‍ति जताई है।

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