टी. एस. तिरुमूर्ति ने यूएनएससी को किया संबोधित
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भारत

भारत ने यूक्रेन को भेजी 90 टन राहत सामग्री

News Agency

नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को बताया कि उसने यूक्रेन और उसके पड़ोसियों को 90 टन से अधिक मानवीय सहायता पहले ही भेज दी है जिसमें दवाएं और आवश्यक राहत सामग्री शामिल है। साथ ही इस तरह की आपूर्ति जारी रखेगा।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने गुरुवार को यूएनएससी को संबोधित करते हुए युद्ध प्रभावित यूक्रेन में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और बिगड़ती मानवीय स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की। भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने के आह्वान को दोहराते हुए कहा कि उसने यूक्रेन से लगभग 22,500 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है और इस प्रक्रिया में 18 अन्य देशों के नागरिकों को वहां से निकालने में मदद की है।

उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन की मौजूदा स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है जो रूसी हमले की शुरुआत के बाद से वहां स्थिति निरंतर बिगड़ती गई है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में मानवीय स्थितियां बदतर हैं।

उन्होंने कहा, "प्रभावित आबादी की मानवीय जरूरतों को पूरा करने की तत्काल आवश्यकता है। इस संबंध में, हम संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों की पहल का समर्थन करते हैं, जिन्होंने कम से कम समय में जो कुछ भी संभव हो सका उसे किया है।"

उन्होंने आशा व्यक्त की कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यूक्रेन के नागरिकों की मानवीय आवश्यकताओं के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया देना जारी रखेगा, जिसमें संरा महासचिव की अपील और क्षेत्रीय शरणार्थी प्रतिक्रिया योजना को समर्थन देना शामिल है।

उन्होंने भारतीय नागरिकों को सकुशल निकालने की प्रक्रिया में मदद करने के लिए यूक्रेन और उसके पड़ोसियों को धन्यवाद भी दिया है।

श्री तिरुमूर्ति ने इस बात पर भी जोर दिया कि मानवीय कार्रवाई हमेशा मानवीय सहायता, मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "इन उपायों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "हम पूरे यूक्रेन में युद्धस्थिति को तत्काल समाप्त करने के लिए अपने आ्रवान को दोहराते हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर इसे दोहराया है और तत्काल युद्धविराम का आवाह्न किया है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बातचीत और कूटनीति के रास्ते के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"

भारत आने वाले दिनों में सुरक्षा परिषद के साथ-साथ विभिन्न पार्टियों के साथ इन उद्देश्यों पर काम करना जारी रखने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरुरत पर बल देते रहेंगे।"

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