जम्मू कश्मीर, भारत। कश्मीर में आर्टिकल-370 खत्म किए जाने के बाद से सियासी हालातों में बदलाव हो रहे हैं, तो वहीं अलगाववादी खेमे की सियासत में सबसे बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कांफ्रेंस ने खुद को अलग कर लिया है।
दरअसल, सैयद अली शाह गिलानी ने एक ऑडियो मैसेज में कहा कि, हुर्रियत कांफ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है। हुर्रियत कान्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने अलग होने का फैसला किया है। फैसले के बारे में हुर्रियत के सारे लोगों को चिट्ठी लिखकर कर जानकारी दे दी गई है।
बता दें कि, 90 साल के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की सेहत भी पिछले दिनों से ठीक नहीं है। वह इसी साल फरवरी में अस्पताल में भर्ती हुए थे और कई बार उनकी सेहत को लेकर अफवाहें भी उड़ीं थी, हालांकि वे बाद में ठीक हो गए थे और वैसे भी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी हमेशा विवादों में रहे हैं। 6 साल पहले यानी 2014 में उन्होंने कहा था कि, कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है। गिलानी और कुछ दूसरे हुर्रियत नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लश्कर-ए-तैयबा से कथित तौर पर फंड लेने पर मामले में जांच भी की थी। गिलानी पर आरोप था कि, उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर में विध्वसंक गतिविधियों के लिए ये पैसे लिए।
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़ी जानकारी :
जानकारी के लिए बताते चले कि, कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 9 मार्च, 1993 को अलगाववादी दलों के एकजुट राजनीतिक मंच के रूप में किया गया था। हुर्रियत कांफ्रेंस कश्मीर में एक्टिव सभी छोटे बड़े अलगाववादी संगठनों का एक मंच है और इसका गठन कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा व अलगाववादियों की सियासत को एक मंच देने के उद्देश्य से किया गया था।
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