Jawaharlal Nehru Death Anniversary
Jawaharlal Nehru Death Anniversary Raj Express
भारत

पुण्यतिथि : जब रेडियो पर गूंजा ‘रोशनी चली गई’, जानिए कैसे हुआ था जवाहर लाल नेहरू का निधन?

Vishwabandhu Pandey

Jawaharlal Nehru Death Anniversary : आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि है। 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद के एक संपन्न परिवार में जन्मे जवाहर लाल नेहरु ने साल 1964 में आज ही के दिन आखिरी सांस ली थी। नेहरु के फैसलों को लेकर आज भी कई सवाल उठते हैं, लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि देश की आजादी में नेहरु का महत्वपूर्ण योगदान है। आज भारत जहां खड़ा है, उसे नेहरु ने ही दिशा दी थी। जवाहर लाल नेहरू के जीवन के बारे में वैसे तो हम सभी जानते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नेहरु की मृत्यु कैसे हुई थी? तो चलिए जानते हैं कि नेहरु के जीवन के अंतिम क्षणों के बारे में।

हार्ट अटैक से बिगड़ी नेहरु की सेहत

आम धारणा है कि चीन से मिले धोखे के चलते नेहरु की तबियत बिगड़ी और फिर उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि यह सच है कि भारत-चीन युद्ध के बाद नेहरु बहुत दुखी हो गए थे। लेकिन इससे उनकी सेहत पर सीधा कोई असर पड़ा यह कहना कठिन है। असल में भारत-चीन युद्ध के एक साल से भी अधिक समय बाद जनवरी 1964 में भुवनेश्वर दौरे के दौरान नेहरु को हार्टअटैक आया था। यही वह समय था, जिसके बाद नेहरु के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आना शुरू हो गई थी।

अंतिम यात्रा पर गए थे देहरादून

जवाहर लाल नेहरू अपनी अंतिम यात्रा पर देहरादून गए थे। 23 मई 1964 को देहरादून गए नेहरु तीन दिनों तक वहीं रहे। उन्हें देहरादून इतना पसंद आया था कि वह वहां कुछ और दिन रुकना चाहते थे। लेकिन दिल्ली में और भी कार्यक्रम होने के चलते यह संभव नहीं हो पाया। 26 मई को शाम 4 बजे नेहरू ने देहरादून से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी।

27 मई 1964

रात 8 बजे नेहरु दिल्ली पहुंचे। वह सीधा प्रधानमंत्री हाउस के अपने कमरे में चले गए। देहरादून से आने के बाद वह अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। पीठ में भयंकर दर्द होने के कारण 26-27 मई की रात को नेहरु ठीक से सो भी नहीं पाए थे। 27 मई को सुबह नेहरु को पहले पैरालिसिस अटैक और फिर बाद में हार्ट अटैक आया। इंदिरा गांधी ने तुरंत डॉक्टर को मौके पर बुलाया, लेकिन नेहरु को बचाया नहीं जा सका।

रेडियो के जरिए हुआ ऐलान

27 मई को दोपहर 2 बजे तत्कालीन इस्पात मंत्री सुब्रमण्यम संसद में पहुंचे और नेहरु के निधन की जानकारी देते हुए कहा कि, ‘रोशनी चली गई।’ इसके बाद 2 बजकर 5 मिनट पर रेडियो पर नेहरु के निधन की जानकारी देश को दी गई। यह खबर सुनते ही पूरे देश में शौक की लहर फ़ैल गई। उनके आवास के बाहर लाखों लोग जमा हो गए। 29 मई को नेहरू का अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें दुनियाभर के नेता और राजनयिक आए थे।

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