341 ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गए
341 ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गए सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

कोरोना काल में गायब हुए 341 ऑक्सीजन सिलेंडर सिंधिया के दौरे से पहले मिले

Manish Sharma

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल से कोरोना काल में गायब हुए 341 ऑक्सीजन सिलेंडर केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अस्पताल दौरे से पहले मिल गए हैं। दो वर्ष बाद गुम हुए सिलेंडर मिलने पर अब कई प्रकार के सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि आखिर यह सिलेंडर कहां से मिले, अब तक क्यों नहीं मिले थे ? प्रबंधकों ने विधानसभा में भी गलत जानकारी क्यों दी। क्या वह विधानसभा को भी नहीं मानते। वहीं कम्पू थाने में झूठी एफआईआर भी लिखवाई। हालांकि इन सवालों के जवाब देने से कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन दोनों बच रहे हैं। उनके पास सिर्फ एक ही जवाब है जांच समिति जाने। 

कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में सबसे ज्यादा किल्लत ऑक्सीजन की हुई थी। ऑक्सीजन के लिए हर जगह हाहाकार मचा था। उस समय कई संस्थाओं और लोगों ने जेएएच में ऑक्सीजन सिलेंडर दान दिए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इतनी ज्यादा अफरातफरी का माहौल था कि ऑक्सीजन सिलेंडर की निगरानी ठीक से नही हो सकी। अस्पताल से धीरे-धीरे सिलेंडर गायब होना शुरू हो गए। पहली बार यह मामला कोविड के पहली लहर के बाद पकड़ में आया था। कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर गायब थे। जबकि दूसरी लहर के बाद जब ऑक्सीजन सिलेंडर पर नजर डाली गई तो 600 सिलेंडर में से करीब 341 ऑक्सीजन सिलेंडर गायब थे। इसके बाद जेएएच अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ के निर्देश पर नोडल ऑफिसर ऑक्सीजन डॉ. आशीष माथुर ने मामले की लिखित शिकायत कंपू थाना में की थी। 

इन पर लगाए थे आरोप, बदले में यह मिला था जवाब

  • सुपर स्पेशलिट अस्पताल अधीक्षक डॉ.गिरिजाशंकर गुप्ता : जेएएच से ऑक्सीजन सिलेंडर गायब होने पर ठिकरा सुपर स्पेशलिट अस्पताल अधीक्षक डॉ.गिरिजाशंकर गुप्ता पर भी फोड़ा गया था। जवाब में उन्होंने लिखा था कि ऑक्सीजन सिलेण्डरों नोडल अधिकारी डॉ.आशीष माथुर थे। 7 जुलाई 2021 को जीआरमएसी, जेएएच एवं सुपर स्पेशलिटी के कोविड स्टोर की समाग्री का भौतिक सत्यापन किया गया था। इसमें सिलेण्डर के कम संख्या होने का खुलासा हुआ था। आपका पत्र तथ्यहीन गैर जिम्मेदारान तरीके से कनिष्ठ पर आरोप-प्रत्यारोप करना अशोभनीय एवं अनुचित है।

  • डॉ.जितेन्द्र नरवरिया, पूर्व सहायक अधीक्षक जेएएच : सिलेंडर गायब होने पर डॉ.जितेन्द्र नरवरिया को भी जिम्मेदार ठहराया गया था। उन्हें भी प्रबंधन ने नोटिस जारी किया था। जवाब में उन्होंने लिखा था कि किचिन प्रभारी का काम खाना बनवाना एवं मरीजों को भिजवाने तक सीमित है। किचिन प्रभारी का ऑक्सीजन सिलेंडरों से कोई संबंध नहीं है। आप द्वेष पूर्वक मेरा नाम सोची समझी साजिश के तहत घसीट रहे हैं। इससे जेएएच की व्यवस्थाएं लगातार गिरती जा रही हैं एवं गरीब मरीजों का अनहित हो रहा है।

  • डॉ.आशीष माथुर, नोडल अधिकारी ऑक्सीजन : ऐसा नहीं है कि नोडल अधिकारी को भी ऑक्सीजन सिलेण्डर मामले में सफाई नहीं देना पड़ी हो। उन्होंने अपनी सफाई में पत्र लिखा था कि कोरोना महामारी की आपातकालीन परिस्थितियों में कोविड पॉजिटिव मरीज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल तथा आइसोलेशन वार्ड में भर्ती थे। जहां ऑक्सीजन सिलेण्डर अत्याधिक मात्रा में लग रहे थे।

इनका कहना है

कोरोना काल में हमारे यहां से 341 सिलेंडर कम हो गए थे। लेकिन  अब जांच की तो जयारोग्य अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग व केआरएच के दो विभागों को जब नए अस्पताल में शिफ्ट किया गया, वहां कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर मिले। इसके बाद प्रबंधन ने पड़ताल की तो ऑक्सीजन सप्लायर्स द्वारा भी जेएएच के ऑक्सीजन सिलेंडर होने की सूचना मिली है। हमारे पास कुल 651 सिलेंडर हैं जो पूरे हैं। 341 ऑक्सीजन सिलेंडर भी प्राप्त हो चुके हैं। 

डॉ. के.पी रंजन, जनसंपर्क अधिकारी जेएएच व जीआरएमसी                 

हां, हमने अस्पताल वालों को लिखित में दिया है कि हमारे पास सिलेंडर आयेंगे तो हम अस्पताल को वापस कर देंगे। हां, एक-दो सिलेंडर हमारे पास जेएएच के आए थे उन्हें हमने उन्हें वापस कर दिया। 

संजय सिंह जादौन, संचालक सेवा कम्प्रेस्ड एयर प्रोडक्ट

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