40 हजार स्कूलों ने नहीं खुलवाए खाते
40 हजार स्कूलों ने नहीं खुलवाए खाते Syed Dabeer Hussain - RE
मध्य प्रदेश

Bhopal : 40 हजार स्कूलों ने नहीं खुलवाए खाते, आठ सौ करोड़ लैप्स होने का खतरा

Gaurishankar Chaurasiya

भोपाल, मध्यप्रदेश। स्कूल ग्रांट की दबी पड़ी राशि को नवीन सिस्टम में पारदर्शी तरीके से खर्च करने की मंशाओं पर पानी फिरता दिख रहा है। प्रदेश में करीब 40 हजार ऐसे स्कूल हैं, जिन्होंने खाते हीं नहीं खुलवाए हैं। जबकि 31 मार्च के पूर्व यह निधि विभिन्न मदों में खर्च करना थी। राज्य शिक्षा केन्द्र ने भी इस बात को स्वीकार किया कि अगर समय से पहले राशि खर्च नहीं हुई तो लैप्स हो जाएगी।

अभी तक यह राशि सीधे स्कूलों के खातों में जाया करती थी। हाईस्कूल और हायर सैकेण्डरी में प्राचार्य जबकि मिडिल और प्रायमरी स्कूलों में हेडमास्टर स्कूलों की व्यवस्थाएं बनाने के लिए यह राशि खर्च करते थे। केन्द्र के पास लगातार शिकायतें आती रही हैं कि स्कूलों में राशि पर्याप्त है। उसके बावजूद समस्याओं का रोना रोया जा रहा है। नतीजतन पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा आईएफएमएस पोर्टल लांच कर एक केन्द्रीय खाता तैयार किया गया है। इसके साथ ही स्कूलों के नवीन खाता खुलवाने के निर्देश दिए गए हैं। यह ऐसी व्यवस्था है, जिसके अंतर्गत स्कूल में किस मद पर क्या राशि खर्च हुई। आईएफएमएस सिस्टम यह प्रमाण दे देगा। 31 मार्च तक सभी स्कूलों को नवीन खाता खुलवाकर राशि खर्च करना थी।

सिर्फ 52 हजार स्कूलों ने खुलवाए खाते :

प्रदेश में हायर सैकेण्डरी से लेकर हाईस्कूल और मिडिल प्रायमरी को देखें तो तकरीबन 92 हजार स्कूल हैं। हालात यह हैं कि आधे विद्यालयों में अभी तक खाता नहीं खुला है। राज्य शिक्षा केन्द्र स्वयं स्वीकार कर रहा है कि अभी तक 52 हजार स्कूलों ने ही खाते खुलवाए हैं। 40 हजार ऐसे विद्यालय हैं, जिन्होंने खाते नहीं खुलवाए हैं। अकेले भोपाल में 850 में से महज 400 स्कूल ही खाता खुलवा पाए हैं।

आठ सौ करोड़ की राशि पर खतरा :

अब अगर 31 मार्च के पूर्व शेष विद्यालयों ने खाते नहीं खुलवाकर राशि खर्च नहीं की तो करोड़ों की राशि लैप्स होने का खतरा बढ़ जाएगा है। कारण है कि मार्च माह की समाप्ति में मात्र एक दिन शेष बचा हुआ है। यह राशि अलगे-अलग मदों में बच्चों की संख्या अनुपात में जारी होना थी। राज्य शिक्षा केन्द्र का कहना है कि जनवरी माह में ही नवीन खाता खोलने के आदेश जारी कर दिए गए थे, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। सभी विद्यालयों के लिए करीब दो हजार करोड़ का बजट है। अगर शेष 40 हजार स्कूलों ने खाता खोलकर राशि खर्च नहीं की तो तकरीबन आठ सौ करोड़ लैप्स भी हो जाएंगे। इस नवीन प्रक्रिया में स्कूल हेडमास्टर को शाला विकास के लिए दुकानदार से सिर्फ सामान खरीदना है। जैसे ही बिल बनेगा तो सीधे दुकानदार को भुगतान हो जाएगा। इसकी लिमिट बाकायदा ऑनलाइन पोर्टल पर भी देखी जा सकती है।

इनका कहना :

प्रदेश में 52 हजार स्कूल खाते खुलवा चुके हैं। शेष स्कूलों ने खाते नहीं खुलवाए हैं। जहां खाते नहीं खुले वहां निश्चित तौर पर राशि लैप्स होगी। बैंक भी खाते नहीं खोल पा रहे हैं। यह भी एक समस्या है। स्कूलों में विभिन्न मदों को मिलाकर करीब दो हजार करोड़ का बजट है। जिसे 31 मार्च के पाूर्व ही खर्च करना है।
पंकज मोहन, फायनेंस ऑफीसर, राज्य शिक्षा केन्द्र

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