राज एक्सप्रेस। जब कोई लड़की पैदा होती है तो हमारे यहां कहा जाता है, "घर में लक्ष्मी पैदा हुई है", इस लक्ष्मी को अब देश की लक्ष्मी बनाने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे भारतवर्ष से ये निवेदन किया है कि, इस दिवाली अपने आस-पास रहने वाली असाधारण लड़कियों, जो किसी भी क्षेत्र में कुछ बेहतर कर रही हों, उनके बारे में लिखें और "#BharatKiLaxmi" के साथ ट्वीट करें। इस पहल में भारत की मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी पी. वी. सिंधु और बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी देश के प्रधानमंत्री के साथ शामिल हुई हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, "भारत की नारी शक्ति प्रतिभा और तप, दृढ़ संकल्प और समर्पण का प्रतीक है। हमारे लोकाचार ने हमेशा हमें महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयास करना सिखाया है। इस वीडियो में पी.वी. सिंधु और दीपिका पादुकोण ने बेहतरीन तरीके से #BharatKiLaxmi का जश्न मनाने का संदेश दिया है।"
पी. वी. सिंधु ने इस बारे में वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, "समाज तब बढ़ता है जब महिलाएं सशक्त होती हैं और उनकी उपलब्धियों को सम्मान दिया जाता है! मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और #BharatKiLaxmi आंदोलन का समर्थन करती हूं। यह भारत की असाधारण महिलाओं की असाधारण उपलब्धियों का उत्सव मनाता है। चलिए, इस दिवाली स्त्रीत्व का जश्न मनाते हैं।"
देश की इस खूबसूरत पहल में हम भी जुड़ते हैं और जानते हैं मध्यप्रदेश की उन महिलाओं के बारे में जो अपने काम और व्यक्तित्व के ज़रिए हमें प्रेरित कर रही हैं।
स्पोर्ट्स प्लेयर का जज़्बा रखने वाली, आत्मविश्वास से परिपूर्ण यह प्ररेणादायक कहानी है कु. अंजली आशटकर की। इन्होंने अपनी जिंदगी को खतरे में डालते हुए अपने स्कूल की लड़कियों की जिंदगी बचाई।
इस साहसपूर्ण कार्य के लिए अंजली को राज्य स्तरीय वीरतापूर्ण कार्य पुरस्कार, राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान के अलावा कई पुरस्कारों से भी नावाज़ा गया है।
जानते हैं अंजली आशटकर की कहानी-
बालाघाट निवासी अंजली आशटकर शासकीय एम.एल.बी कन्या हायर सेकेंड्री स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर हैं। अंजली ने अपनी वीरता, साहस का परिचय तब दिया जब दो असामाजिक तत्व उनकी छात्राओं के साथ छेडछाड़ कर रहे थे।
साल 2012 की यह घटना है। अंजली अपने स्कूल की छात्राओं के समूह को स्कूल स्तरीय खेल प्रतियोगिता के लिए जबलपुर ले गई थीं। प्रतियोगिता खत्म होने के बाद रात को लौटते समय पेंडरई गाँव के आसपास उनकी बोगी में दो युवक चढ़े। दोनों युवक छात्र दल की एक छात्रा के साथ छेड़खानी करने लगे। अंजली ने दोनों युवक की हरकत देखकर उन्हें समझाइश देकर छोड़ दिया। दोनों युवक थोड़ी देर शांत बैठे रहे, लेकिन अंजली की नींद लगने के बाद दोनों युवक फिर वही हरकत दोहराने लगे। बच्चियों की सुरक्षा के लिए अंजली को उन युवकों से हाथापाई करना पड़ा।
अंजली ने हमें बताया कि दोनों युवक उन्हें ट्रेन में धक्का दे रहे थे। वो मदद के लिए लोगों को बुला रही थीं मगर उनकी मदद के लिए ट्रेन में बैठा एक भी यात्री आगे नहीं आया, सब चुपचाप तमाशा देख रहे थे। अंजली ने खुद अपने दम पर छात्राओं की और अपनी जान बचाई। साथ ही दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करवाया।
पूरी घटना का वर्णन करते हुए अंजली कहती हैं कि "इंसान में आत्मविश्वास हो तो वो कुछ भी कर सकता है। उस दिन मेरे ऊपर बच्चियों की जिम्मेदारी थी। मेरी जान चली भी जाती तो कोई गम नहीं था। मैं बस चाहती थी कि मेरी बच्चियाँ सही सलामत घर पहुँचे। मैंने ट्रेन में जो जंग जीती वो मेरा आत्मिक बल ही था।"
'मेरे पिता के देहांत के बाद मेरी माँ ने मेरा पालन पोषण किया। मेरी जिंदगी काफी संघर्षों से गुजरी है इसलिए मैं लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हूँ।'- अंजली आशटकर
भारत की लक्ष्मी बड़ी पहल है
देश की महिलाओं के योगदान की #BharatKiLaxmi के साथ सराहना की जा रही है इससे अच्छी बात कुछ हो नहीं सकती। देश की महिलाओं के सम्मान में इस तरह की कोई भी पहल काफी सरहानीय है।
देश में आज भी महिलाओं की संख्या स्पोर्ट्स के क्षेत्र में काफी कम है। आज भी अभिभावक बच्चों को खेलने के लिए दूसरे शहरों या राज्यों में जाने के लिए अनुमति नहीं देते। उसकी एक मुख्य वजह उनकी सुरक्षा भी है।
हमारे देश की महिलाओें और बच्चियों की हम सबको मिलकर रक्षा करनी होगी। उनके अनुकूल वातावरण बनाना होगा, तभी देश की बच्चियाँ स्पोर्ट्स और हर क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगी।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।