हाइलाइट्स :
गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों ने आरोप लगाया
2 दिसंबर 1984 की भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की ‘सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना
पीड़ितों ने कहा केंद्र और राज्य सरकारें आरोपियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं
राज एक्सप्रेस। विश्व की भयावह और दर्दनाक औद्योगिक त्रासदी ‘भोपाल गैस कांड’ की 3 दिसंबर को 35वीं बरसी है, इस त्रासदी से पीड़ित लोग आज भी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। भोपाल गैस पीड़ितों ने कहा है कि- केंद्र और राज्य सरकारें आरोपियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक
2 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से निकली कम से कम 30 टन अत्यधिक जहरीले गैस मिथाइल आइसोसाइनेट गैस भोपाल गैस त्रासदी, मानव इतिहास में अबतक विश्व की सबसे भयावह और दर्दनाक ओद्योगिक त्रासदी में से एक है। दुर्भाग्यवश, इतने सालों में घटना को हर बार बरसी की तरह याद बस कर लिया जाता है।
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए लगभग 35 साल से काम करने वाले 4 संगठनों ने केंद्र तथा मध्य प्रदेश की सरकारों पर यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल के साथ सांठ-गांठ कर गैस पीड़ितों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी और भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षडंगी ने यहां संवाददाताओं को बताया- केंद्र तथा मध्य प्रदेश की सरकारें भोपाल गैस पीड़ितों की बजाय यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल के हितों की रक्षा कर रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया-
केंद्र तथा मध्य प्रदेश की सरकारों ने यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल के साथ सांठ-गांठ कर गैस पीड़ितों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
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