जॉब के नाम पर धोखाधड़ी
जॉब के नाम पर धोखाधड़ी  Priyanka Yadav
मध्य प्रदेश

पांच पत्नियों को ऐशो-आराम कराने बन गया शातिर जालसाज

Priyanka Yadav

राज एक्सप्रेस। स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) की भोपाल टीम ने ऑल इंडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में स्टॉफ नर्स की भर्ती कराने का झांसा देकर धोखाधड़ी करने और फर्जी नियुक्त पत्र थमाने वाले जालसाज गिरोह का भंडाफोड़ कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है। सरगना पांच पत्नियों का पति है और उसका कहना है कि अपनी पत्नियों को हाई प्रोफाइल लाइफ व्यतीत कराने के लिए वह जालसाजी कर रहा था। यह गिरोह अब तक चार दर्जन से अधिक छात्राओं को स्टॉफ नर्स बनाने का प्रलोभन देकर लाखों रूपए की ठगी कर चुका है।

धोखाधड़ी करने वाले गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक एसटीएफ राजेश भदौरिया के मुताबिक ऑल इंडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में स्टॉफ नर्स के पद पर भर्ती कराने का झांसा देकर धोखाधड़ी करने व फर्जी नियुक्त पत्र जारी करने संबंधी शिकायतें मिल रही थीं। शिकायतों पर संज्ञान लेकर व मामले की गंभीरता को देखते हुए फर्जीवाड़े का खुलासा करने एसटीएफ की 8 सदस्यीय टीम बनाई गई। टीम ने विशेष कार्य योजना बनाकर गिरोह के सदस्यों को चिन्हित किया और इंदौर से लौटते समय मुख्य आरोपी दिलशाद खान निवासी जबलपुर व आलोक कुमार बामने निवासी भोपाल को अवधपुरी भेल क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।

चौथी पत्नी करती है अस्पताल का संचालन-

पूछताछ में आरोपी दिलशाद खान ने बताया कि, उसने पांच महिलाओं से निकाह किए हैं। पांचों पत्नियों को उच्च स्तरीय रहन-सहन का जीवन व्यतीत कराने के लिए वह वह गैरकानूनी तरीके से स्टॉफ नर्स के पद पर छात्राओं की भर्ती कराने का झांसा देकर पैसा कमा रहा था। उसकी चौथी पत्नी जबलपुर में एक निजी अस्पताल का संचालन करती है। वह अब तक 50 से अधिक लड़कियों से स्टॉफ नर्स के पद पर भर्ती कराने का प्रलोभन देकर लाखों रुपए ठग चुका है। दूसरे आरोपी आलोक बामने ने बताया कि, उसकी पत्नी शासकीय कन्या छात्रावास, पटेल नगर भोपाल में अधीक्षिका के पद पर कार्यरत है। आरोपी आलोक बामने की पत्नी की इस प्रकरण में भूमिका की जांच की जा रही है।

फर्जी चयन सूची में दिखाते थे नाम-

स्टॉफ नर्स का कोर्स पूरा कर चुकीं छात्राओं को राष्ट्रीय संस्थान एम्स अथवा अन्य शासकीय चिकित्सा संसथानों में स्टॉफ नर्स के रूप में भर्ती कराने का झांसा देकर छात्राओं से लाखों रूपए वसूल लिए जाते थे। कूटनीतिक तरीके से फर्जी नियुक्त पत्र तैयार कर छात्राओं को फर्जी चयन सूची में नाम दर्शाया जाता था तथा कुछ छात्राओं को भविष्य में होने वाली भर्तियों में भर्ती कराने का आश्वासन देकर फर्जीवाड़ा किया जाता था। भर्ती के संबंध में संपर्क करने पर पीड़ित छात्राओं को आरोपी किसी ने किसी बहाने से टालते रहते थे अथवा भ्रमित करते थे।

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