स्वास्थ्य मंत्री ने कहा मानदेय बढ़ाने पर विचार चल रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा मानदेय बढ़ाने पर विचार चल रहा है। Syed Dabeer-RE
मध्य प्रदेश

80 हजार आशाओं के हवाले 60 सेवाओं का काम, मासिक मानदेय में 2000 रुपये दाम

Author : Shahid Kamil

भोपाल, मध्यप्रदेश। कोविड-19 के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग में 5 दर्जन से अधिक कार्यक्रमों में अपनी सेवा देने वाली आशा कार्यकर्ताओं का दर्द फूटा है। आरोप है कि अनेक कार्यक्रमों में उन से काम करवाया जा रहा है लेकिन दुर्भाग्य है कि मासिक मानदेय के नाम पर सिर्फ 2000 रुपये मिल रहे हैं। यह एक प्रकार से प्रदेश की 80000 से अधिक आशाओं और उनकी सहयोगियों का सुनियोजित तरीके से शोषण है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस समस्या का निवारण करने विचार चल रहा है।

इनका कहना है कि प्रदेश के स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाने, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं, परिवार कल्याण, सभी प्रकार के सर्वे, स्वास्थ्य सूचकांक संबंधित पंजीयन, क्षय रोग नियंत्रण ,मलेरिया नियंत्रण, कुष्ठ निर्मूलन, एड्स नियंत्रण, एनसीडी टीकाकरण कार्यक्रम, गर्भवती एवं प्रसव पश्चात देख रेख, होम बेस्ड नियोनेटल केयर, कुपोषण नियंत्रण जैसी 62 कार्यक्रमों में अपनी सेवाओं का योगदान वह दे रही है। इसके अतिरिक्त विभिन्न स्वास्थ अभियान जैसे पल्स पोलियो, दस्तक अभियान, जनसंख्या स्थिरता माह, स्तनपान पखवाड़ा, मलेरिया माह जैसे अनेकों अभियान में प्रदेश की एमएमआर, आईएमआर , टीएफआर को कम करने तथा ग्राम आरोग्य केंद्रों के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में दिन-रात लगी है। आम नागरिकों को यह सेवाएं देने के साथ-साथ विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को सहज सुलभ समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

इस हेतु निरंतर सीमित संसाधनों में भी आशा कार्यकर्ता व सहयोगी स्वास्थ विभाग की रीड की हड्डी के रूप में कार्य कर रही है। पीड़ा बताई है कि आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम प्रोत्साहन राशि रुपए दो हजार प्रतिमाह दिया जा रहा है, जो प्रतिदिन रूपये-66 होते हैं। यह राशि मनरेगा में दी जाने वाली अर्द्ध कुशल श्रमिकों की मजदूरी से भी बहुत अधिक अल्पतम है। कोविड-19 के अंतर्गत 23 मार्च से निरंतर प्रदेश से आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर इसके बचाव, नियंत्रण एवं शासन द्वारा जारी संदेशों को घर-घर पहुंचा रही है। अपनी जान को जोखिम में डालकर पूरे समय वह कील कोरोना फीवर सर्वे के अंतर्गत भी आशा कार्यकर्ता व सहयोगिनी द्वारा सुरक्षा संसाधनों के अभाव में भी अपनी जान को जोखिम में डालकर घर घर जाकर फीवर सर्वे किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ताओं व सहयोगिनी के निस्वार्थ समर्पित व अथक निरंतर दी जा रही है। उनके परिश्रम से ही कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों का अर्ली डायग्नोसिस किया जाकर उनके सैंपलिंग व उपचार में सहयोग मिला रहा है। जिसके कारण कोविड-19 के मरीजों कि मृत्यु पर भी नियंत्रण हो रहा है। साथ ही मरीजों का समय पर उनका उपचार संभव हो पाया है। शासन द्वारा इस हेतु 10,000 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई थी जो आज दिनांक तक नहीं दिया गया है।

सरकार नहीं कर रही आशाओं के साथ नैसर्गिक न्याय- अनीता

मध्य प्रदेश आशा कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी की प्रदेश संघर्ष समिति मोर्चा की संयोजक श्रीमती अनीता जामूनपाने ने बताया कि सरकार नैसर्गिक न्याय नहीं कर रही है। आशा कार्यकर्ताओं की योग्यता आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सामान होकर इनका कार्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भी अधिक है। उसके बावजूद आशा कार्यकर्ताओं एवं सहयोगिनी द्वारा सीमित संसाधनों में अपने जान को जोखिम में डालकर निरंतर पूर्ण निष्ठा ईमानदारी के साथ समर्पित सेवाएं दे रही है। इनके द्वारा किए जा रहे समर्पित भाव से कार्यों को अनदेखा करते हुए निरंतर उपेक्षा की जा रही है जो अब असहनीय है। आशा कार्यकर्ताओं की नेता अनीता ने शासन से मांग की है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के समान ही आशा कार्यकर्ताओं को भी सुविधाएं मिले। प्रतिमाह वेतन न्यून्तम रूपये 10 हजार व अन्य सुविधाओं के साथ-साथ आशा कार्यकर्ता को शासकीय सेवक का दर्जा दिया जाए। मार्च से लम्बित कोविड -19 का घोषित प्रोत्साहन राशि 10 हजार प्रति माह के मान से नहीं दी जा रही है। यदि सरकार इसी तरह उपेक्षा करती रही तो मजबूरन आंदोलन का झंडा उठाना पड़ेगा।

इनका कहना

आशा कार्यकर्ताओं की मानदेय से संबंधित समस्या उनके संज्ञान में भी आई है। इनका मानदेय बढ़ाने पर विचार चल रहा है। इस संदर्भ में अधिकारियों से भी चर्चा की जा रही है।

-प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मध्यप्रदेश शासन।

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