वनरक्षकों को पुलिस के समान पदनाम देने में वित्त विभाग ने फिर खींचे पांव
वनरक्षकों को पुलिस के समान पदनाम देने में वित्त विभाग ने फिर खींचे पांव Social Media
मध्य प्रदेश

वनरक्षकों को पुलिस के समान पदनाम देने में वित्त विभाग ने फिर खींचे पांव

Author : Shahid Kamil

भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश में वन कर्मचारियों को पुलिस के समान पदनाम देने में वित्त विभाग ने पैर वापस खींच लिए हैं। तमाम कानूनी और विभागीय तकनीकी उलझन को लेकर अधिकारी यह प्रक्रिया पूर्ण करने में डर रहे हैं।

जानकारी है कि जब तक इस मामले में मुख्यमंत्री की हरी झंडी नहीं मिल जाएगी तब तक 1 कर्मचारियों को पुलिस के समान पदनाम देने में प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। बताना होगा कि इन्हें वेतन तो पुलिस के समान मिल रहा है लेकिन उस पद का नाम नहीं है। इधर मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग के कर्मचारियों को पदोन्नति के आदेश जारी करने पर वन सेवकों ने सरकार पर नाराजगी जताई है। जंगल कर्मचारियों का कहना है कि जब पुलिस को यह लाभ मिला तो आखिर उनके साथ अन्याय क्यों?

इस संबंध में कुछ दिन पूर्व वन विभाग के कर्मचारियों ने मंत्रालय स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल के पार्क में बैठक की इसके बाद सरकार पर भेदभाव के आरोप लगाए। मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री आमोद तिवारी ने बताया कि राज्य में 12000 नाकेदार एवं 4 हजार वन क्षेत्रपाल हैं। इन सभी सेवकों ने अपने 12 साल की सेवा पूर्ण कर ली है। नियम यही है कि इतनी सेवा करने के बाद कर्मचारी को मान सेवा के आधार पर पदोन्नति दी जाएगी। तिवारी का आरोप है कि पुलिस विभाग में प्रमोशन का यह लाभ दे दिया गया है लेकिन वन विभाग में कर्मचारियों के साथ अन्याय किया गया है जबकि इन्हें समय मान पहले से मिल रहा है। सिर्फ पदोन्नति पदनाम चाहिए। उसके बाद भी विभाग द्वारा इस गंभीर मामले में आनाकानी की जा रही है।

तिवारी का कहना है कि कोरोना जैसी भीषण आपदा में कर्मचारी जंगलों की रखवाली कर रहे हैं। इस दौरान कई कर्मचारियों पर जानवरों के हमले भी हुए हैं। दो कर्मचारी की तो मौत भी हो गई है। वनमंत्री के क्षेत्र खंडवा में भी अभी कर्मचारियों पर हमला किया गया है। उसके बाद भी मानवीय रवैया नहीं अपनाया जा रहा है। सरकार का यह रवैया घर जा रहा है कि कर्मचारियों के प्रति बिल्कुल जवाबदेही नहीं है।

हिंदी मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल तिवारी का कहना है कि 1 कर्मचारियों को पुलिस के समान पदनाम देने के लिए वित्त विभाग साफ तौर पर मना ही कर चुका है। निर्मल तिवारी कहते हैं कि जब पुलिस को यह लाभ दिया गया है तो उसी प्रकार का काम जान जोखिम में डालकर 1 कर्मचारी भी कर रहे हैं। इसके बावजूद ऐसा दोहरा बर्ताव करना कहीं से भी उचित नहीं है।

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