सौ साल में पहली बार रूबात में नहीं ठहरेंगे हाजी
सौ साल में पहली बार रूबात में नहीं ठहरेंगे हाजी Social Media
मध्य प्रदेश

Bhopal : सौ साल में पहली बार रूबात में नहीं ठहरेंगे हाजी

Shahid Kamil

भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोनाकाल के दो साल बाद इस साल हज के मुक्कद सफर के लिए सउदी हुकूमत ने इजाजत तो दे दी है, जिससे हज यात्रियों की खुशी का ठिकाना नहीं है। लेकिन इसी बीच भोपाल रियासत भोपाल, सीहोर और रायसेन के हाजियों की रिहाइश को लेकर बुरी खबर है। मक्का मदीना में भोपाल नबाब द्वारा बनाई गई रूबातों में हाजी इस साल नहीं ठहर सकेंगे। ऐसा 100 सालों में पहली बार होगा, जबकि भोपाल पूर्व रियासत के हाजियों को ठहरने के लिए अपनी जेब ढीली करना पड़ेगी। इससे पहले सालों तक हर साल हज यात्रा के दौरान यहां से जाने वाले हाजियों को रूबात में शाही औकाफ के जरिये ठहराया जाता था। जिससे हाजियों का करीब 75 हजार से लेकर 1 लाख रुपये की बचत हो जाती थी।

क्यों बने ऐसे हालात :

हज के दौरान रूबातों में ठहरने का सिलसिला बदस्तूर 2019 तक चला। लेकिन कोरोनाकाल में 2 साल तक साउदी हुकूमत ने विदेशी हाजियों को आने की इजाजत नहीं दी थी, इसके बाद इस साल 2022 में हज के लिए विदेशी हाजियों को अनुमति मिली है। लेकिन हज कमेटी ऑफ इंडिया के सरक्यूलर में बिन्दु क्रमांक-23 पर यह अंकित है कि इंडिया से आने वाले हाजियों को रूबातों में ठहरने की इजाजत नहीं है। इसके बाद स्टेट हज कमेटी ऑफ मप्र ने हाजियों से रिहाइश की पूरी रकम जमा करा ली है। जिसके बाद हाजियों के हज खर्च में 25 फीसदी तक बढ़ गया है। हज का सफर वैसे ही दो साल पहले हुए हज की तुलना में महंगा हो गया था। अब हाजियों को रूबात नहीं मिलने से भोपाल रियासत के हाजियों की जेब पर यह अतिरिक्त भार और बढ़ गया है।

पत्रों के आदान-प्रदान का दौर जारी :

स्टेट हज कमेटी सीईओ शाकिर अली जाफरी बताते हैं कि रूबात में पूर्व भोपाल रियासत के हाजियों को ठहरने के लिए सूची शाही औकाफ को भेज दी गई है। लेकिन शाही औकाफ द्वारा मक्का के लिए कोई कुरअंदाजी की तिथि अभी तक नहीं बताई गई है। इसके साथ ही हज कमेटी ऑफ इंडिया को भी पत्र लिखकर रूबात में रिहाइश के लिए लिखा गया है। जाफरी ने बताया कि रूबात में ठहराने का काम शाही औकाफ करता है। हम सिर्फ हाजियों की सूची ही भेजते हैं।

मदीने में सबको मिल जाती थी रूबात :

स्टेट हज कमेटी के जानिब से जाने वाले पूर्व भोपाल रियासत के हाजियों को मक्का में कुरआंदाजी कर रिहाइश के लिए चुना जाता था। यहां 210 हाजियों की रिहाइश रूबात में थी। जबकि मदीना में भोपाल, सीहोर और रायसेन के सभी हाजियों को रिहाईश रूबात में मिल जाती थी। साथ में दो वक्त के खाने का इंतजाम भी रूबात, नाजिर (इंतेजामियां) करती थी, फिलहाल मदीना की रूबात हया औकाफे मदीना के अंडर में है, यहां एक विवाद के बाद इस रूबात को हया ने अपने अंडर में कर लिया था, लेकिन औकाफे शाही ने मदीने में हाजियों को ठहराने के लिए तशरीह यानि अनुमति ले ली थी और दूसरी इमारत में सउदी हुकूमत हाजियों को ठहराने के लिए तैयार भी हो गई थी। लेकिन हज कमेटी ऑफ इंडिया और सीजीआई के पेंच के बाद हाजियों के लिए अब रिहाइश इस साल नामुमकिन हो गई है। शाही औकाफ की तरफ से की गई तमाम कोशिशें फिलहाल बेकार हो गई हैं। हज के बाद भी ही यह पाबंदी हटने की उम्मीद है।

इनका कहना है :

मक्का और मदीना दोनों जगह भोपाल पूर्व रियासत के हाजियों को ठहरने के लिए तशरीह मिल गई थी, लेकिन सीजीआई और हज कमेटी ऑफ इंडिया को पत्र भी लिखकर सूचित कर दिया है। लेकिन हज कमेटी ऑफ इंडिया के सरक्यूलर में हाजियों को रूबात में ठहरने की पाबंदी लगाने की वजह से मामला उलझा हुआ है।
आजम तिरमिजी, सचिव औकाफ शाही, भोपाल

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