मुख्यमंत्री कमलनाथ
मुख्यमंत्री कमलनाथ Deepika Pal - RE
मध्य प्रदेश

चुनाव से पहले नई जुगत में सरकार,जीत की कवायद भी और राजस्व वसूली भी

Author : Deepika Pal

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने अधूरे वादों को पूरा करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं, जिसके चलते अब सरकार द्वारा जनता के हित के लिए बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। हाल ही में कमलनाथ सरकार पूर्व सरकार के फैसले को पूरा करने जा रही है, बता दें कि अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने के मामले में हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद अब फिर से इसे वैध करने की तैयारी में सरकार है। जिसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद संभवत: विधानसभा के बजट सत्र में प्रस्तुत किया जा सकेगा। आगामी निकाय चुनाव से पहले इस पर फैसला लिया जा सकता है।

विधानसभा सत्र में की थी घोषणा :

बता दें कि, बीते विधानसभा सत्र में कैबिनेट नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने इस संबंध में नियमितीकरण के लिए अधिनियम लाने की घोषणा की थी। जिसमें नए कानून में प्रदेश की लगभग 5007 अवैध कॉलोनियों को वैध करने का निर्णय लिया गया था, जिससे 40 लाख से अधिक लोगों को फायदा मिलेगा। फिलहाल प्रदेश की राजधानी में 350 से अधिक अवैध कॉलोनियों को वैध होने का इंतजार है ।

फॉर्मूले के तहत कॉलोनियां होगी वैध :

बता दें कि, सरकार द्वारा मध्यप्रदेश नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद अवैध कॉलोनी एवं निर्माण नियमितीकरण अधिनियम 2019 का प्रारुप तैयार कर लिया गया है। अवैध कॉलोनियों को वैध करने के फार्मूलें को प्रदेश से पहले आंध्रप्रदेश और दिल्ली में लागू किया गया था। वहीं जानकारों के मुताबिक, अवैध करने के पीछे का कारण कॉलोनियों के भवनों के तोड़े जाने में आने वाले खर्चे से लगाया जा रहा है सरकार का मत है कि, महंगाई के इस दौर में इसका असर लाखों लोगों पर पड़ेगा। साथ ही इन क्षेत्रों से राजस्व की वसूली भी एक कारण है। इसके लिए नए अधिनियम को लागू करना ही एक उपाय माना जा रहा है।

पूर्व शिवराज सरकार ने उठाया था मुद्दा :

बता दें कि, इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 8 मई 2018 को प्रदेशभर में अवैध कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया था, जिसमें ग्वालियर के नगर निगम सीमा की 690 अवैध कॉलोनियों में से पहले चरण में 63 अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए चुना गया था, साथ ही प्रदेश की 4624 कॉलोनियों को वैध करने का भी फैसला लिया था लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के साथ ही यह मामला अटक गया, जिसे अब सरकार पूरा करने जा रही है।पूर्व सरकार के कार्यकाल में ही इस योजना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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