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मध्य प्रदेश

स्कूलों में ई-अटेंडेस सिस्टम फिर होगा शुरू, शिक्षकों में हड़कंप

Deepika Pal

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की राजधानी में प्रदेश सरकार, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ई- अटेंडेस सिस्टम को फिर से लागू करने जा रही है। यह फैसला शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार द्वारा लिया जा रहा है। सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में हड़कंप मच गया है।

आगामी शिक्षा सत्र में सख्ती से किया जाएगा लागूः

प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव के समय अपने वचनपत्र में ई-अटेंडेस सिस्टम को बंद करने की बात कही थी लेकिन सवा सौ करोड़ बच्चों के भविष्य को ध्यान रखते हुए इसे फिर से लागू करने का ऐलान किया है। जिसे आगामी शिक्षा सत्र में सख्ती से लागू करने की योजना है। वहीं जांच में पाया गया था कि 55 प्रतिशत बच्चें शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूल हीं नहीं जाते और कुछ जाते हैं तो आधे समय में लौट जाते हैं, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। जिसे लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक में नाराजगी व्यक्त की थी।

सरकार के फैसले से शिक्षकों में मचा हड़कंपः

सरकार के इस फैसले को लेकर शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की उपस्थिति और अन्य शैक्षणिक कार्यो के लिए मोबाइल शिक्षा ऐप तैयार किया गया है, जिसमें शिक्षकों के उपस्थिति, आने- जाने के समय को मॉनिटर किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से शिक्षकों की लोकेशन को भी चेक किया जाता है, कि वह स्कूल में हैं या स्कूल से अनुपस्थित हैं।

वहीं मोबाइल शिक्षा मित्र एप में उपस्थिति दर्ज कराने के अलावा इस ऐप से शिक्षक आकस्मिक चिकित्सा और अन्य विशेष या ऐच्छिक अवकाशों के लिए भी आवेदन कर सकेगा। वही शिक्षकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अवकाश की सूचना, स्कॉलरशिप की जानकारियां और शिक्षकों के वेतन से जुड़ी पे-स्लिप को भी देखा जा सकता है।

पूर्व सरकार के समय शुरू होकर बंद हुई थी व्यवस्थाः

बता दें कि, शिक्षकों की उपस्थिति को मॉनिटर करने के लिए इसे पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया था लेकिन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इस फैसले पर रोष जताते हुए इस फैसले के खिलाफ ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर फैसला सुनाते हुए इसे बंद कर दिया गया था जिसके बाद यह ई-अटेंडेस की व्यवस्था साल 2017 और 2018 में फिर से शुरू की गई थी लेकिन जून- जुलाई 2018 में शिक्षकों के विरोध पर यह व्यवस्था बंद कर दी गई थी।

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