छायावाद की महान कवियत्री महादेवी वर्मा की जयंती पर मंत्री मिश्रा ने किया नमन
छायावाद की महान कवियत्री महादेवी वर्मा की जयंती पर मंत्री मिश्रा ने किया नमन  Social Media
मध्य प्रदेश

छायावाद की महान कवियत्री महादेवी वर्मा की जयंती पर मंत्री मिश्रा ने किया नमन

Author : Deepika Pal

भोपाल, मध्यप्रदेश। देश हो या प्रदेश के इतिहास में कई महान कवियों और हस्तियों ने अपनी रचनाओं से योगदान दिया है जिन्हें प्राय: स्मरण किया जा सकता है। आज 26 मार्च को आधुनिक युग की मीरा और छायावाद की प्रमुख स्तम्भ महान कवियत्री महादेवी वर्मा 114वीं की जयंती है। इस मौके पर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर नमन किया है।

मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट के जरिए किया नमन

इस संबंध में, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट के जरिए काव्यात्मक लहजे में कहा कि, "वे मुस्काते फूल नहीं, जिनको आता है मुरझाना l वे तारों के दीप नहीं,जिनको भाता है बुझ जाना ll" "आधुनिक युग की मीरा" और छायावाद की प्रमुख स्तम्भ महान कवि महादेवी वर्मा जी की जयंती पर सादर नमन करता हूं। महादेवी जी की कविताओं में एक सशक्त महिला की उपस्थिति का अहसास होता है।

सीएम शिवराज ने भी किया कोटिश नमन

इस संबंध में अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, नीरव नभ के नयनों पर हिलतीं हैं रजनी की अलकें, जाने किसका पंथ देखतीं, बिछ्कर फूलों की पलकें। महादेवी वर्मा मां सरस्वती की कृपा से धन्य साहित्य जगत की उज्ज्वल ज्योत, महान कवयित्री, श्रद्धेय महादेवी वर्मा जी की जयंती पर कोटिश: नमन करता हूं। साहित्य प्रेमियों के लिए आप सदैव पूजनीय रहेंगी।

महान कवियत्री के जन्मदिन पर कुछ खास बात

आपको बताते चलें कि, हिंदी साहित्य की पुरोधा, प्रख्यात कवयित्री, छायावाद की दीपशिखा और समाज दिग्दर्शिका महादेवी वर्मा की आज 114वीं जयंती है जिनका जन्म भारतीय संवत 1964 में फाल्गुन पूर्णिमा (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 26 मार्च 1907) को हुआ था। उनकी कविता में लिखे शब्द हमें सीख देनें के साथ ही हमें करुणा और त्याग जैसे भावों से परिचित कराते हैं। कवियत्री महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं में कई विषयों को भली भांति प्रस्तुत किया है। तो वहीं महिलाओं की मुक्ति के लिए भी बिगुल फूंका था, जिसके लिए स्कूल के दौरान ही महादेवी वर्मा ने 'Sketches from My Past' नाम से कहानियां लिखीं, जिसमें उन सहेलियों और उनकी तकलीफों का जिक्र था, जिनसे वे पढ़ाई के दौरान मिलीं। इसके अलावा 1942 में निबंध संकलन 'श्रृंखला की कडिय़ां' के जरिए रूढि़वाद पर चोट करते हुए महिलाओं की मुक्ति और विकास का बिगुल फूंका। उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल है नीहार, दीपशिखा, रश्मि, सप्तपर्णा, नीरजा, सांध्यगीत, अग्निरेखा।

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