तकनीकी शिक्षाा विभाग की जांच का आरजीपीवी पर नहीं कोई असर
तकनीकी शिक्षाा विभाग की जांच का आरजीपीवी पर नहीं कोई असर Raj Express
मध्य प्रदेश

Bhopal : तकनीकी शिक्षाा विभाग की जांच का आरजीपीवी पर नहीं कोई असर, अगस्त से शुरू हुई जांच अब तक बेनतीजा

Rakhi Nandwani

बड़ा सवाल : कैसे होगी जांच, कब तक आएगी विभाग की रिपोर्ट, जब दस्तावेज ही नहीं होंगे उपलब्ध?

भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश के सबसे बड़े तकनीकी विश्वविद्यालय राजीव गांधी प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय में टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम -3 (टीईक्यूआईपी-3) के फंड के दुरुपयोग और उससे नियमाविरूद्ध की गई पांच करोड़ की खरीदी की शिकायत की जांच कर रही तकनीकी श्क्षिा की विभागीय समिति दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए बार-बार आरजीपीवी से गुहार लगा-लगा कर परेशान हो चुकी है। टीम अगस्त महीने से लगातार समय पर समय दे रही है और हर बार कुलसचिव को पत्र लिखकर चार दिन का समय देती है। फिर कुलसचिव भी टीईक्यूआईपी-3 से संबंधित अधिकारी प्रो. एससी चौबे से दस्तावेज मांगते हुए हर बार तीन-चार दिन का समय देते, लेकिन मजाल है कि जांच समिति और कुलसचिव को एक भी वांछित दस्तावेज उपलब्ध कराया गया हो। उल्टा प्रो. चौबे कहते हैं कि समिति या जिसे भी जो दस्तावेज चाहिए विवि के कमरे से आकर ले सकता है।

इस पूरे मामले को जानने, सुनने वाले अधिकारी चौबे के इस जवाब से अचंभित हैं और किसी को उनका जवाब हजम नहीं हो रहा है, क्योंकि नियम तो यही कहता है कि उन्हें खुद वांछित दस्तावेज उपलब्ध कराने चाहिए। अब ऐसे में कुलसचिव भी कुछ जवाब नहीं दे पा रहे हैं और उन्होंने तो 7 दिसंबर को राज एक्सप्रेस में मामला उठाए जाने के बाद से संवादाता का फोन ही उठाना बंद कर दिया है। अब आलम यह है कि तकनीकी शिक्षा विभाग ओर कुलसचिव दोनों ही दस्तावेज मिलने के इंतजार में तारीख पर तारीख बढ़ा रहे हैं। वहीं दस्तावेज ना मिलने तक जांच रिपोर्ट भी नहीं बन सकती है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि जब किसी समय-सीमा का पालन ही नहीं हो रहा है , तो जांच रिपोर्ट का क्या होगा? खबर लिखे जाते समय भी लगातार दो दिन कुलसचिव आरएस राजपूत का संवादाता ने फोन लगाया गया तो उनका फोन नहीं उठा। मालूम हो कि पूर्व में भी एक अन्य भ्रष्टाचार के मामले में भ्रष्टाचार की जांच हेतु शासन द्वारा गठित दो सदस्यीय टीम को आरजीपीवी ने दस्तावेज उपलब्ध कराने में इसी तरह की आनाकानी की गई थी।

क्या है पूरा मामला :

शिकायतकर्ता सूरज प्रकाश गांधी ने कोरोना काल में (टीईक्यूआईपी-3) फंड से की गई पांच करोड़ की खरीदी को नियमाविरूद्ध बताते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। तकनीकी शिक्षा संचनालय द्वारा अगस्त माह में गठित टीम के सदस्य अतिरिक्त संचालक सीजी ढबू और अतिरिक्त संचालक(वित्त) जितेंद्र सिंह को दस दिन में जांच करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन उस जांच का नतीजा अब तक सिफर है क्योंकि उन्हें दस्तावेज देने में विवि और श्री चौबे द्वारा आना कानी की जा रही है। टीम द्वारा विवि को तारीख पर तारीख देते हुए दस्तावेज मुहैया कराने के लिए कई बार पर्याप्त समय दिया गया है, लेकिन विवि इस मामले में ना सही जवाब दे रहा है, ना ही दस्तावेज उपलब्ध करा रहा है। इस मामले में विभाग के अधिकारी भी अब हर बार कहते हैं कि लास्ट अल्टीमेटम दे रहे हैं, लेकिन विभाग के अंतिम अल्टीमेंटम और अनुरोध भी बेनतीजा ही हैं। अब सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्यों कुलसचिव मामले पर बात करने से बच रहे हैं? क्यों चौबे विभाग का दस्तावेज नहीं दे रहे हैं?

चौबे का जवाब :

चौबे हर बार एक ही जवाब दे रहे हैं कि जांच अधिकारी स्वयं आईक्यूएसी कार्यालय में आकर जांच से संबंधित फाइलों का अवलोकन कर जांच प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इस जवाब से असंतुष्ट विभाग ने विवि को दस्तावेज भेजने के लिए फिर आखिरी मौका दिया है।

चौबे का जवाब

जांच समिति द्वारा मांगे गए दस्तावेज :

  1. सॉफ्टवेयर की आवश्यकता हेतु संबंधित संकाय का मांग पत्रक एवं इस पर सक्षम स्वीकृति आदि।

  2. सॉफ्टवेयर खरीदी के संबंध में की गई क्रय-विक्रय से संबंधित संपूर्ण नस्त, टेण्डर डॉक्यूमेंट, तुलना पत्रक एवं जारी क्रय आदेश एवं भुगतान संबंधी नोटशीट आदि।

  3. संबंधित सॉफ्टवेयर जिस भण्डार पंजी में दर्ज किया है, उसकी प्रमाणित छायाप्रति।

  4. यदि पूर्व में इस प्रक्रिया के संबंध में कोई अन्य जांच आदि हुई हो तो उससे संबंधित अभिलेख।

इन बिंदुओं पर हो रही है जांच :

  • आरजीपीवी द्वारा टीईक्यूआईपी-3 के तहत कोविड-19 के समय एक दिसंबर 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक लगभग पांच करोड़ रुपए के साफ्टवेयर खरीदे गए थे। आरोप पत्र में कहा गया है कि उस समय जब ना छात्र आ रहे थे ना ही स्टाफ तो आवश्यकता उपयोगिता किसके द्वारा दी गई। फर्जी दस्तावेज तैयार कर खरीदी का आरोप लगाया गया है।

  • आरजीपीवी को टीईक्यूआईपी-3 में 20 करोड़ का फंड मिला है, जिसके तहत खरीदी में विवि ने शासन के नियमों का पालन नहीं किया है।

  • विवि द्वारा टीईक्यूआईपी-3 फंड से खरीदे गए सामान के दाम मार्केट कीमत से ज्यादा है।

  • आरजीपीवी के पांच यूटीडी में पीजी में छात्रों की संख्या ना के बराबर है तो साफ्टवेयर किसके लिए खरीदे गए। अधिकंश खरीदी गई सामाग्री अनुउपयोगी है। वहीं इसमें से कई साफ्टवेयर एआईसीटीई और यूजीसी की साइट पर छात्रों के लिए फ्री उपलब्ध हैं।

  • खरीदी नियमों का उल्लंघन कर नियम विरूद्ध की गई खरीदारी।

इनका कहना है :

टीईक्यूआईपी-3 फंड में से आरजीपीवी द्वारा की गई खरीदी में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली है, जांच जारी है। दस्तावेज मिलने के बाद ही जांच रिपोर्ट शासन को दी जाएगी।
सीजी ढबू, अतिरिक्त संचालक, तकनीकी शिक्षा संचनालय

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