पीयूसी कराने में नहीं वाहन मालिकों की रुचि
पीयूसी कराने में नहीं वाहन मालिकों की रुचि सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

पीयूसी कराने में नहीं वाहन मालिकों की रुचि, नतीजा- शहर की हवा हो रही जहरीली

Shakti Rawat

भोपाल, मध्यप्रदेश। एक तरफ राजधानी की हवा दिन-ब-दिन प्रदूषित होती जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शहर की सड़कों पर प्रतिदिन बढ़ते वाहनों के बोझ के बीच वाहनों की पीयूसी की स्थिति बदतर नजर आ रही है। इस मामले में सरकारी विभाग और वाहन मालिक दोनों उदासीन नजर आ रहे हैं। ना तो वाहन मालिकों की पीयूसी कराने में रुचि है, ना ही पीयूसी की जांच के लिए जिम्मेदार परिवहन और यातायात पुलिस विभाग इस पर ध्यान दे रहे हैं। शहर में पीयूसी के आंकड़े इस दुर्दशा की कहानी बयां कर रहे हैं। पीयूसी सेंटरों पर रोज 50 वाहन भी पीयूसी के लिए नहीं आ रहे हैं। शहर में डेढ़ से दो लाख ऐसे पुराने वाहन दौड़ रहे हैं, जो 15 साल या उससे भी पुराने हैं, उसके बाद भी जहरीला धुंआ उगलते वाहनों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हालांकि परिवहन विभाग के अफसर जल्द अभियान चलाने की बात कह रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि महीनों से वाहनों की पीयूसी जांची ही नहीं जा रही है। नतीजा इन हजारों वाहनों का जहरीला धुआं शहर की हवा को जहरीला बना रहा है।

फैक्ट फाइल :

शहर में कॉमर्शियल, चार पहिया और दो पहिया वाहनों की कुल संख्या 17 लाख के करीब है, यह तेजी से बढ़ती जा रही है, लेकिन आंकड़ों की बात करें तो मुश्किल से 10 फीसदी कॉमर्शियल और 10 फीसदी चार पहिया वाहन मालिक ही पीयूसी करा रहे हैं, वहीं टू व्हीलर के मामले में तो यह स्थिति और बुरी है। सेंटरों के आंकड़ों के मुताबिक महज 5 फीसदी दो पहिया वाहन चालक ही पीयूसी कराने आ रहे हैं।

यह है नियम :

परिवहन नियमों के मुताबिक हर छह महीने के बाद वाहन की प्रदूषण जांच कराकर पीयूसी प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर वाहन पर गैर कॉर्मिशयल वाहनों से 1 हजार जबकि कॉमर्शियल वाहनों से 3 हजार रूपये तक जुर्माने और वाहन की जब्ती तक की कार्रवाई की जा सकती है।

शहर में 200 से ज्यादा सेंटर :

लोगों के वाहनों की प्रदूषण जांच आसानी से हो सके इसके लिए राजधानी के 152 पेट्रोल पंपों में से ज्यादातर पर पीयूसी सेंटर की व्यवस्था की गई है, इसके साथ ही शहर के जे के रोड, अयोध्या, करोंद और सात नंबर समेत कई इलाकों में निजी सेंटर मौजूद हैं। इन पर टू व्हीलर के लिए 100 रूपये, चार पहिया के लिए 250 रू और कॉमर्शियल वाहनों के लिए 500 रू शुल्क तय है। जो कि परिवहन विभाग द्वारा जारी अनुमति के आधार पर चलाए जा रहे हैं। लेकिन इन सेंटरों पर जाकर वाहन की पॉल्युशन जांच कराने वालों की तादाद काफी कम है।

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