ओबीसी एससी एसटी एकता मंच जिला अध्यक्ष ने की थी शिकायत
ओबीसी एससी एसटी एकता मंच जिला अध्यक्ष ने की थी शिकायत Ganesh Dunge
मध्य प्रदेश

बुरहानपुर: ओबीसी एससी एसटी एकता मंच जिला अध्यक्ष ने की थी शिकायत

Author : Ganesh Dunge

राज एक्सप्रेस। प्रोफेसर का पद पाने के लिए नियमों का उल्लंघन। पंडित शिवनाथ शास्त्री आयुर्वेदिक कॉलेज कीं प्रोफेसर रश्मि रेखा मिश्रा ने अपात्र होने के बाद भी पद पा लिया। इसकी शिकायत हुई तो शनिवार को भोपाल से जांच कमेटी के अध्यक्ष डाॅ. सी पी शर्मा और सदस्य डॉ एस के प्रसाद जांच करने के लिए मोहम्मदपुरा स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज पहुंचे। यहां पर शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी प्रमाण देखे, लेकिन रश्मि रेखा मिश्रा अपनी योग्यता के दस्तावेज भी जमा नहीं करा पाई। सीपी शर्मा ने कहा हम जांच कर रहे हैं, इसमें लापरवाही और अपात्र पायी जाती है, तो नौकरी से हटा दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि, पिछले कई सालों से पद पर बनी हुई हैं। ओबीसी, एससीएसटी एकता मंच के जिलाध्यक्ष गणेश दुनगे ने बताया रश्मि रेखा मिश्रा की नियुक्ति सीसीआईएम दिल्ली की योग्यता को पूरी नहीं की है। नियमों का उल्लंघन कर पद हासिल कर लिया है। इस पद के लिए 10 वर्ष का अध्ययन, 5 वर्ष रीडर का अनुभव चाहिए था। ये दोनों ही रश्मि रेखा मिश्रा के पास नहीं है। रीडर का अनुभव नहीं था तो कम से कम 10 वर्ष का लेक्चरर का अनुभव जरूरी था। जिले में रीडर का पद था। इसके बाद भी रीडर का 10 वर्ष का अनुभव प्रमाण पत्र लगाना चाहिए था। इसमें गौर करने वाली बात ये है कि ये प्रमाण पत्र भी नहीं लगाया गया है। अब देखिए रश्मि रेखा मिश्रा ने पद हासिल करने के लिए क्या किया, उन्होंने काय चिकित्सा एवं रोग निदान विषय पद के लिए प्रमाण पत्र जमा कराया जो सीसीआईएम के रेग्युलेशन में नहीं है। इस तरह रश्मि रेखा मिश्रा दोनों योग्यताओं को पूरा नहीं करती हैं।

अफसरों ने विज्ञापन में कर दी हेराफेरी :

आयुष विभाग ने विज्ञापन 16861/8 पूरे प्रदेश में जारी कर काय चिकित्सा की 8 पोस्ट पर भर्ती निकाली थी। भर्ती प्रक्रिया में 25 प्रतिशत मतलब 2 सीट सामान्य के लिए आरक्षित थी और 75 प्रतिशत मतलब 6 पद पदोन्नति के कोटे से हुई थी। सीधी भर्ती में पहला पद 1989 में डॉ. निगम की नियुक्ति हुई थी। इस पद पर एसटी वर्ग के लिए 1989 में विज्ञापन निकाला गया था। इस विज्ञापन में अफसरों ने हेराफेरी कर दी। इसमें अंकित कर दिया कि इस श्रेणी के पद पर किसको आवेदन करना है। इसका फायदा डॉ. रश्मि रेखा मिश्रा ने उठाया और आवेदन किया। उनकी नियुक्ति इस पद पर हो गई।

एक ही संस्था में एक समय पर एक ही विभाग के दो नाम नहीं हो सकते गणेश दुनगे ने बताया, डॉ. मिश्रा के द्वारा एएलएनराव आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज कोप्पा द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र में 3 फरवरी 1999 से 13 अगस्त 2008 तक काय चिकित्सा एवं रोग निदान विकृति विभाग में लेक्चरर से प्रोफेसर के पदों पर कार्य करने का अनुभव भी वैधानिक नहीं है। उपरोक्त कार्य अवधि की गणना लेक्चरर के पद पर कार्य किए जाने के रूप में भी नहीं की जा सकती है, क्योंकि सीसीआईएम रेग्युलेशन 1986 में आयुर्वेदिक कॉलेजों में विभिन्न विभागों के लिए स्टाफ की संरचना में काय चिकित्सा एवं रोग निदान विकृति विज्ञान नाम का कोई विभाग नहीं है। रोग निदान एक स्वतंत्र विभाग के रूप में अंकित है। काय चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग अवश्य है, जिस पर उनके पति डॉ. मोहंतो 3 फरवरी 1999 से 13 अगस्त 2008 तक लेक्चरर, असिस्टें प्रोफेसर, रीडर, प्रोफेसर, डीन के पदों पर कार्यरत थे। एक ही संस्था में एक ही समय पर एक ही विभाग के दो नाम नहीं हो सके। इस तरह डॉ. मिश्रा ने मप्र में छल से शासकीय नौकरी प्राप्त करने की नीयत से एएलएन राव मेडिकल कॉलेज कोप्पा के डायरेक्टर द्वारा अपने पक्ष में काय चिकित्सा एवं रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग में विभिन्न पदों पर कार्य करने का प्रमाण पत्र बनवाया था।

2010-11 में ग्रहण किया था प्रभारी प्रधानाचार्य का पद:

डॉ.मिश्रा ने वर्ष 2010-11 में प्रभारी प्रधानाचार्य का पदभार ग्रहण किया गया था। इसके बाद से उनके द्वारा सीसीआईएम नाम्र्स की पूर्ति के लिए मात्र कागजी खानापूर्ती की गई महाविद्यालयीन चिकित्सालय के विभिन्न विभागों के लिए सीसीआईएम के अनुसार आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। डॉ. रश्मि रेखा मिश्रा पर नगर पालिका निगम द्वारा रसीद बुक संख्या 322, रसीद संख्या 100 के द्वारा डॉ. मिश्रा प्रभारी प्रधानाचार्य पर बिना अनुमति पेड़ काटने में रुपए 5 हजार का अर्थदंड किया था।

ये भी जानिएं:

भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ट भोपाल संयोजक प्रदीप पटेल द्वारा उपरोक्त आरक्षण अधिनियम के उल्लंघन में प्रोफेसर काय चिकित्सा के एसटी के बैकलॉग के पद पर डॉ. रश्मि रेखा मिश्रा अनारक्षित श्रेणी की अवैध नियुक्ति की शिकायत की गई। इसमें तत्कालीन आयुक्त संचालनालय आयुष के द्वारा 2008 में जारी विज्ञापन में आरक्षण से संबंधित उपरोक्त टीप से यह प्रतीत होता है कि, ततसमय पद विशेष आरक्षित नहीं किया जाकर संख्यात्मक आरक्षण रखा गया था कि, टीप अंकित की गई। जिसके द्वारा मप्र शासन आयुष मंत्रालय के दिनांक 3 जुलाई 2015 के आदेश से पूर्ववत प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया। इस तरह डॉ. रश्मि रेखा मिश्रा की नियुक्ति सीसीआईएम नियमों के साथ आरक्षण अधिनियम के उल्लंघन में की गई है। जिसमें डॉ. रश्मि रेखा मिश्रा की नियुक्ति को तत्काल समाप्त कर इसमें दोषी अधिकारियों के विरूद्ध भी आरक्षण अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जाना चाहिए।

भोपाल में हुई शिकायत के बाद शासन द्वारा जांच समिति गठित की गई है, उसी के तहत सभी साक्ष्यों की जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट शासन को सौपी जायेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी। प्रथम दृष्टया में नियुक्ति में गडबड़ी होना प्रतीत हो रहा है।
डॉ. सी पी शर्मा, अध्यक्ष जांच समिति।

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