मुख्यमंत्री प्राथमिकता से पेयजल का स्थाई समाधान निकालें : अजय सिंह
मुख्यमंत्री प्राथमिकता से पेयजल का स्थाई समाधान निकालें : अजय सिंह Raj Express
मध्य प्रदेश

मुख्यमंत्री प्राथमिकता से पेयजल का स्थाई समाधान निकालें : अजय सिंह

राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। पूरे प्रदेश की जनता पीने के पानी के संकट से जूझ रही है। पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। सरकार सबको पानी उपलब्ध कराने में असफल हो गई है। यह बात पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कही है।

श्री सिंह ने कहा कि, बिजली कटौती और लो प्रेशर के कारण बड़े-छोटे शहरों में पानी की टंकियां पूरी क्षमता से नहीं भर पा रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह हमेशा की तरह समस्या विकराल होने के बाद मीटिंग लेकर अधिकारियों को हिदायत देने लगते हैं। समस्या का पूर्वानुमान लगाकर जो मीटिंग उन्हें जनवरी माह में ही लेकर प्लान करना थी, वह चार महीने बाद हो रही है। उन्हें शासन में 17 साल हो गए, लेकिन पेयजल समस्या का स्थाई समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। प्रदेश में केंद्र की अमृत योजना 2015 से चल रही है, इसके दूसरे चरण में साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपए और मिल गए हैं। भारी भरकम बजट और करोड़ों रूपए खर्च होने के बाद भी समस्या जस की तस है, टंकियां बन गई हैं, तो पाइप लाइन नहीं बिछी, पाइप डल गए हैं तो जल स्त्रोत में पानी की कमी हो गई। तीनों चीजें उपलब्ध हैं तो बिजली कटौती और कम दाब के कारण टंकियां नहीं भर पा रही हैं, इसके बाद रही सही कसर टेंकर माफिया सक्रिय होकर पूरी करने लगते हैं। वे विपत्ति को अवसर में बदलने में लग जाते हैं।

सिंह ने कहा कि प्रदेश में लगभग सवा करोड़ घर हैं, लेकिन 40 प्रतिशत में ही नल लगे हैं, जबलपुर पूर्व विधानसभा में बिजली की कमी से टंकियां नहीं भर पाती। क्षेत्र में आक्रोश है। इंदौर में 59 स्थानों का पानी 2019 से पीने लायक नहीं है लेकिन कोई चेतावनी बोर्ड नहीं लगा, कोलीफार्म बैक्टीरिया पनपने से लोगों को पेट की गंभीर बीमारियां हो रही है। सतना के जल स्त्रोत में तीन हफ्ते का पानी बचा है। वहां 150 करोड़ की योजना किस काम की है, हर साल नगर निगम को बाणसागर से लाखों रुपए का पानी खरीदना पड़ता है।

अजयसिंह ने कहा कि, यही हाल ग्वालियर शहर और संभाग का है। अमृत योजना में 350 करोड़ खर्च हो गए लेकिन गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। इससे भीषण गर्मी में जलसंकट और गहरा गया है। खरगोन बड़वानी सीमा के कई गांव प्यासे हैं। वहां के सांसद विधायक ने पत्र के साथ अखबारों की कतरने शिवराजसिंह को भेजी हैं। भोपाल में 35 लाख की आबादी के लिए पानी उपलब्ध है जबकि राजधानी की आबादी 22 लाख है, फिर भी सवा लाख आबादी ट्यूबवेल और टेंकरों पर पूरी तरह निर्भर है। लगभग 600 अवैध कालोनियां और 150 अन्य कालोनियां या तो नगरनिगम के नेटवर्क से बाहर हैं या वे बल्क कनेक्शन लेने तैयार नहीं हैं। यह तो कुछ उदाहरण हैं। पूरे प्रदेश की स्थिति गंभीर है, उन्होंने कहा कि 52 जिलों में जल जीवन मिशन में चार हजार योजनाओं के पूरे होने का दावा कागजों में किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता कोसों दूर है। मेरा शिवराजसिंह से आग्रह है कि वे व्यक्तिगत रूचि लेकर पेयजल की समस्या को प्राथमिकता से लें और स्थाई समाधान निकालें।

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