करवाचौथ 2021
करवाचौथ 2021 Priyanka Yadav-RE
मध्य प्रदेश

सीएम ने पत्नी साधना के साथ अपने आवास पर मनाया करवा चौथ का पर्व, दिया ये संदेश

Author : Priyanka Yadav

भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेशभर में करवा चौथ 2021 का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम आवास में अपनी पत्नी के साथ खास अंदाज में करवा चौथ मनाया है। इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा- प्रेम, सम्मान और सामंजस्य से ही परिवार चलता है।

सीएम और उनकी धर्मपत्नी ने विधि विधान से करवा चौथ की पूजा अर्चना की :

बता दें कि पत्नी साधना सिंह ने चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर पूजा की तथा परंपरा अनुसार छलनी के माध्यम से चंद्रमा और पति चौहान के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्नी साधना सिंह को जल ग्रहण करवाकर व्रत का पारण करवाया और पति-पत्नी ने विधि-विधान से पूजा की करवा चौथ का व्रत पति की लम्बी और कष्ट रहित पूर्ण आयु की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

सीएम ने किया ट्वीट

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा- नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे। अखण्ड सौभाग्य के पर्व करवा चौथ पर यही प्रर्थना कि मेरी समस्त माताओं-बहनों के जीवन में शुभत्व एवं मंगल का नव चंद्र सर्वदा दमकता रहे, सबका जीवन सुख, समृद्धि, आनंद से भर जाये! जय चौथ माता!

मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी ने कुछ इस अंदाज में मनाया करवाचौथ

इस खास मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह चौहान की कुछ खास तस्वीरें भी सामने आई हैं। इनमें शिवराज सिंह पत्नी साधना के साथ पूजा-अर्चना करते नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों में दोनों एक साथ पूजा करते, और चांद को अर्घ देने के बाद छलनी वाली रस्म में भी दोनों नजर आये। सीएम ने कहा कि सौभाग्य के पावन पर्व करवा चौथ पर धर्मपत्नी को जल ग्रहण करवाकर उनका व्रत पूर्ण कराया, प्रदेश एवं देश की करोड़ों बहनों ने अपने पति की दीर्घायु व मंगल के लिए यह निर्जला व्रत रखा है, चौथ माता मेरी सभी माताओं-बहनों की मनोकामनाएं पूरी करें, शुभकामनाएं!

करवा चौथ का महत्व :

आपको बताते चलें कि करवा चौथ का व्रत सौभाग्य, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। करवा चौथ का पावन पर्व पूरे देश में सुहागनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, यह ऐसा पर्व है जिसका सफर चांद छिपने से लेकर चांद दिखने तक होता है, यानी कि चांद छिपने के बाद (भोर में) महिलाओं का निर्जला व्रत शुरू होता है, जो शाम को चांद के दीदार के बाद ही पूरा होता है।

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