CM शिवराज ने भोपाल गैस त्रासदी के दिवंगतों को दी श्रद्धांजलि
CM शिवराज ने भोपाल गैस त्रासदी के दिवंगतों को दी श्रद्धांजलि Social Media
मध्य प्रदेश

भोपाल गैस त्रासदी में प्राण गंवाने वाली दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं: सीएम शिवराज

Priyanka Yadav

भोपाल, मध्यप्रदेश। विश्व की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है भोपाल गैस त्रासदी, आज ही के दिन भोपाल गैस त्रासदी हुई थी, इस दिन को याद कर आज भी भोपाल के लोग सहम उठते हैं, भोपाल गैस त्रासदी से उपजा दर्द आज भी हम सबको याद है। ऐसे में आज भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने त्रासदी में असमय जान गंवाने वाले समस्त दिवंगतों की आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की।

Bhopal में आयोजित श्रद्धांजलि एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा

आज भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसी पर सेंट्रल लाइब्रेरी में 'श्रद्धांजलि एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा' का कार्यक्रम आयोजित किया गया। भोपाल में आयोजित श्रद्धांजलि एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सम्मलित हुये। इस सभा में भोपाल की महापौर श्रीमती मालती राय, अलग-अलग धर्मों के धर्मगुरू एवं शहर के नागरिक उपस्थित रहे।

CM शिवराज ने भोपाल गैस त्रासदी के दिवंगतों को दी श्रद्धांजलि

भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसी पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि, भोपाल गैस त्रासदी में प्राण गंवाने वाली दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, आज सभी धर्मगुरु ने प्रार्थना की है। सभी धर्म मानव कल्याण की कामना के साथ प्रेरित करते हैं कि हम दूसरों की पीड़ा दूर करने के लिए कार्य करें।

सभा में मुख्यमंत्री ने कहा-

सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रकृति से उतना ही लें, जितना आवश्यक है। दोहन के बजाय प्रकृति का शोषण हमारे ही विनाश का कारण बन सकता है। भोपाल गैस त्रासदी सबक है कि हम अपनी जरूरतों के अनुसार ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें। पर्यावरण का संरक्षण जीव जगत के कल्याण के लिए आवश्यक है। यह हम सभी का दायित्व है।

भोपाल गैस त्रासदी का रूह कंपा देने वाला मंजर मुझे आज भी याद है: CM

सीएम बोले- भोपाल गैस त्रासदी का रूह कंपा देने वाला मंजर मुझे आज भी याद है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था, लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे, प्रगति आवश्यक है, लेकिन पर्यावरण और प्रकृति की कीमत पर बिल्कुल नहीं। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें भौतिकता और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन बनाना होगा। यह संतुलन बिगड़ा तो औद्योगिक त्रासदी कैसे रोकी जा सकेगी।

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