मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
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मध्यप्रदेश: वसुधैव कुटुम्बकम का भाव ही सहकारिता है- सीएम शिवराज सिंह

Aditya Shrivastava

मध्यप्रदेश। प्रदेश में 16 से 23 सितम्बर तक "गरीब कल्याण सप्ताह" मनाया जा रहा है। गरीब कल्याण सप्ताह के तहत प्रत्येक दिन अलग-अलग विभागों से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। आज यानि 22 सितंबर को राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण और कृषकों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने हेतु सहकारी बैंकों को 800 करोड़ की राशि का अंतरण किया।

सीएम शिवराज सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा- सहकारिता भारत का मूल भाव है। सबके मंगल और कल्याण तथा वसुधैव कुटुम्बकम का भाव ही सहकारिता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का संकल्प लिया है और हम उनके इस स्वप्न को साकार करने के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सीएम ने कहा कि किसानों, पशुपालकों और मत्स्य पालकों को हमने शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने की योजना प्रारम्भ की थी, जिसे कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया था। हमने इसे फिर से प्रारम्भ कर दिये हैं। आपके कल्याण के किसी काम को मैं रुकने नहीं दूंगा, परिस्थिति चाहे जैसी हो। मंडिया बंद नहीं होंगी, ये पूर्ववत चलती रहेंगी। किसान अपनी उपज चाहे खेत से बेचे, प्राइवेट मंडियों में बेचे, वेयरहाउस से ही बेच दें। किसान को जहां अधिक कीमत मिलेगी, बेचने के लिए स्वतंत्र है। समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि मेरे किसान भाइयों मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि कृषि संबंधित जो तीनों विधेयक बने हैं, वे किसानों के हित में हैं। किसानों को इसका लाभ मिलेगा और पहले से अधिक सशक्त बनेंगे। कुछ लोग कृषि संबंधित जो तीनों विधेयक बने हैं। उसके बारे में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। ये विधेयक किसान की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होंगे। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का अभिनंदन करता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 6 हजार राशि में प्रदेश सरकार की ओर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना अंतर्गत 4 हजार रुपये किसानों को और दिये जायेंगे। इस तरह अब एक वर्ष में प्रदेश के अन्नदाता को कुल दस हजार रुपये मिलेंगे। मध्यप्रदेश में लहसुन, धनिया आदि का उत्पादन बहुत अधिक होता है। प्रसंस्करण इकाइयां लगाकर प्रदेश में ही मसाले तैयार किये जायेंगे, ताकि किसान को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

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