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मध्य प्रदेश

शहडोल: ई-पंचायत के लिए आए कम्प्यूटर हुए ध्वस्त

Author : राज एक्सप्रेस

हाइलाइट्स :

  • रोजगार सहायक पंचायत से रहते हैं नदारद

  • कबाड़ में बिकने की कगार पर पंचायत की लाखों की सामग्री

शहडोल, मध्य प्रदेश। देश को डिजिटल और अत्याधुनिक करने की सोच से भले ही शासकीय और निजी प्रणाली को नवीन तकनीक से जोड़ने के दावे किये जा रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत यहां ग्रामीण क्षेत्रों में संचार के बेहद मामूली संसाधन भी अब तक उपलब्ध नहीं है। हालत यह है कि जिला मुख्यालय की सोहागपुर जनपद की लगभग 70 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में लगे कम्प्यूटर इंटरनेट सेवा के चलते बेकार पड़े हैं।

संभागीय मुख्यालय की सोहागपुर जनपद की ग्राम पंचायतों में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि इसे जिले में बैठे अधिकारी बखूबी जानते हैं और अगर नहीं जानते हैं तो, उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े होना लाजमी है। सरकार से मोटा वेतन लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के दावे करने वाले यह अधिकारी जिले के मुखिया की आंखों में धूल झोख रहे हैं। सोहागपुर जनपद की ग्राम पंचायत दूधी की ही बात करें तो, पंचायत में कम्प्यूटर पर काम के लिए जरूरी इंटरनेट सेवा नहीं होने के चलते सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने इन कम्प्यूटर सहित प्रिंटर का क्या हाल किया है, यह वहां जाकर स्वयं ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

कार्य हो रहे प्रभावित :

सोहागपुर जनपद की ग्राम पंचायत दूधी में शासन की योजना अनुसार पंचायत में चले रहे कार्याे की मानीटरिंग और इनके लेखा-जोखा सहित हितग्राहियों को योजना का लाभ देने के लिए वहां इंटरनेट सेवा होना जरूरी है। सूत्रों की मानेा तो पंचायत में इंटरनेट नहीं जुड़े होने के कारण मररेगा अंतर्गत होने वाले काम वर्क डिमांड, मस्टर फीडिंग, ई-पेमेंट सहित ट्रीपल एसएमटी मैपिंग, पात्रता पर्ची निकालना, पेंशन भुगतान, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र आदि कामों के लिए ग्रामीणों को परेशान होना पड़ता है।

रोजगार सहायक की नियुक्ति क्यों :

सोहागपुर जनपद की लगभग ग्राम पंचायतों में सचिव सहित रोजगार सहायक अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जानकारों का कहना है कि इनकी पदस्थापना कम्प्यूटर संबंधित कार्य करने के लिए की गई थी, मजे की बात तो यह है कि ग्राम पंचायत दूधी में कम्प्यूटर से संबंधित लगभग कार्य पंचायत द्वारा दुकानों से कराया जा रहा है, मजे की बात तो यह है कि अगर यहां पर नेट नहीं है, कम्प्यूटर नहीं चल रहा है, तो पंचायत द्वारा आखिर कम्पयूटर रिपेयरिंग, कार्टेज रिफलिंग क्यों कराई जा रही है।

दुकानों से करवा रहे काम :

ग्राम पंचायत को ई-पंचायत बनाने और यहां होने वाले काम को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाने की सोच से जिले की लगभग पंचायतों को ई-पंचायत बनाया गया था, जानकारों का कहना है कि जिला पंचायत द्वारा 1 लाख 20 हजार की लागत से पंचायत को मानीटर, सीपीयू, इन्वर्टर, की-बोर्ड, माउस, यूएसबी डिवाइस, बड़ी एलसीडी टीवी सहित अन्य सामान दिया गया था, लेकिन उसके बाद भी पंचायत में कम्प्यूटर कार्य न होकर दुकानों से इसका लाभ लिया जा रहा है।

सरपंच-सचिव के घर रखे कम्प्यूटर :

सूत्रों की मानें तो पंचायत में कम्प्यूटर पर काम के लिए जरूरी इंटरनेट सेवा न होने के कारण कई पंचायत के कम्प्यूटर को सरपंच-सचिव ने अपने घर में रख लिया है। जिन पर उनके परिजन अपना निजी काम कर रहे हैं। कुछ ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर सहित अन्य उपकरणों की स्थिति इतनी दयनीय है कि अब वह कबाड़ में देने लायक हो चुके हैं, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने कभी इसकी सुध नहीं ली।

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