मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, जनसम्पर्क मंत्री जयवर्धन सिंह आदि
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, जनसम्पर्क मंत्री जयवर्धन सिंह आदि जयवर्धन सिंह, ट्विटर
मध्य प्रदेश

किस 'नाम' की खातिर हुई कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हाथापाई?

Author : प्रज्ञा

राज एक्सप्रेस। रौशनपुरा चौराहे पर शुक्रवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। राजधानी भोपाल के जिला कांग्रेस कार्यालय में 4 अगस्त को कार्यकर्ताओं की समस्याओं को दूर करने के लिए रखी गई बैठक में प्रभारी मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह और जनसम्पर्क मंत्री पी. सी. शर्मा के सामने पार्टी के दो गुट आपस में भिड़ गए।

कार्यकर्ताओं की ये लड़ाई मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा भोपाल मेट्रो के नामकरण को लेकर हुई। 26 सितंबर 2019 को भोपाल मेट्रो के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 7000 करोड़ की इस परियोजना का नाम 'भोज मेट्रो' रखने की घोषणा की थी।

"दिल्ली और बैंग्लोर मेट्रो के नाम उन शहरों के नाम पर हैं। आज से भोपाल मेट्रो का नाम 'भोज मेट्रो' होगा।"
कमलनाथ, मुख्यमंत्री (मध्यप्रदेश)

एम. पी. नगर के गायत्री मन्दिर के पास शहरी विकास मंत्री जयवर्धन सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और अन्य मंत्रियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भूमि पूजन कर भोज मेट्रो का शिलान्यास किया था।

भोपाल विधान सभा सीट से विधायक आरिफ मसूद ने सरकार की इस घोषणा का विरोध किया था। उनका कहना था कि, 'राजा भोज के नाम पर पहले ही काफी चीज़ों का नाम रखा जा चुका है। मेट्रो को भोपाल शहर के नाम पर ही रहने दिया जाना चाहिए।'

वहीं भाजपा ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया था। महापौर आलोक शर्मा ने कहा कि, 'राजा भोज के नाम पर मेट्रो का नाम रखने के लिए भोपाल की जनता मुख्यमंत्री की आभारी रहेगी।'

शुक्रवार को आयोजित बैठक में मेट्रो के नाम को लेकर कांग्रेस पार्टी दो दलों में बंट गई। निगम नेता प्रतिपक्ष मो. सागीर ने मेट्रो के नाम पर आपत्ति जताई। वहीं कांग्रेस नेता आसिफ जकी, अमित शर्मा, मोनू सक्सेना आदि ने मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल उठा रहे नेताओं का विरोध किया। इस सबके बीच पूर्व महापौर विभा पटेल ने नेता प्रतिपक्ष से माइक छीनने की कोशिश की और दोनों दलों के बीच बात हाथापाई तक पहुंच गई।

मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के दो शहरों भोपाल और इन्दौर में मेट्रो बनाने का निर्णय लिया था। इसके लिए 'मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कम्पनी' का गठन किया गया और मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया। साल 2015-16 से शुरू हुई इस परियोजना का शिलान्यास मुख्यमंत्री ने 26 सितंबर 2019 को किया।

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