जीतू पटवारी ने CM यादव पर कसा तंज
जीतू पटवारी ने CM यादव पर कसा तंज  Social Media
मध्य प्रदेश

जीतू पटवारी ने CM पर हमला बोलते हुए कहा- उम्मीद है आप 'मौन' तोड़ेंगे, जनहित में कुछ तो जरूर बोलेंगे!

Author : Priyanka Yadav

हाइलाइट्स:

  • आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का बयान

  • मुख्यमंत्री मोहन यादव पर जीतू पटवारी ने कसा तंज

  • पटवारी पर हमला बोलते हुए कही ये बातें...

"सीएम मोहन यादव जी, आर्थिक बदहाली का ऐसा दौर स्थानीय निकायों ने पहले कभी नहीं देखा है! जरूरत इस बात की है कि "लग्जरी" में कटौती हो और सुविधाओं की बजाय आवश्यकताओं को प्राथमिकता मिले, उम्मीद है आप 'मौन' तोड़ेंगे, जनहित में कुछ तो जरूर बोलेंगे" ये बात आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कही है।

Jitu Patwari का CM पर हमला:

आज जीतू पटवारी ने ट्वीट कर लिखा- मुख्यमंत्री, करोड़ों रुपया कर्ज लेने के बाद भी मध्यप्रदेश के आर्थिक स्थिति बदतर क्‍यों हो गई है? इस सवाल का जवाब जानना अब बहुत जरूरी हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स से यह खुलासा हो ही चुका है कि जिस चुंगी क्षतिपूर्ति के पैसों से 16 नगर निगम के साथ 400 निकायों की गाड़ी दौड़ती है, सात महीने में सरकार ने वहां 463 करोड़ रु. की कटौती कर दी।

पटवारी बोले- जनवरी 2024 में ही चुंगी क्षतिपूर्ति के 300 करोड़ में से 74 करोड़ सरकार ने काट ​दिए हैं, तर्क दिया जा रहा है काटा हुआ पैसा निकायों के बिजली बिल भुगतान के नाम पर सरकार अपने पास रख रही है, 7 महीने से चल रही कटौती 30 करोड़ से लेकर 100 करोड़ के बीच है! सरकार के इस "दूरदर्शी-निर्णय” से शहरी सरकारों का खजाना न केवल खाली हुआ है, बल्कि माली हालत ही खराब हो गई है इसीलिए, सवाल उठ रहा है वित्तीय समझ के ऐसे कौन “विशेषज्ञ” हैं, जिनकी सलाह पर सरकार की आर्थिक नीतियां सरक रही हैं?

आगे उन्होने कहा कि, हालात समझने के लिए नर्मदापुरम नगर पालिका CMO की रचनात्मकता को भी जरिया बनाया जा सकता है! बीते गुरुवार परिषद की बैठक में CMO ने दुष्यंत कुमार की गजल के दो मिसरे पढ़े, 'भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ? आजकल परिषद में है, जेर-ए-बहस ये मुद्दआ! गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नहीं, पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बद्दुआ हो सकता है भाजपा सरकार 'सच' बोलने वाले अधिकारी पर कार्रवाई करे. लेकिन, इसे 'कायरता' कहा जाएगा।

क्योंकि, भाजपा कभी 'सच' सुनना ही नहीं चाहती और सच यह है कि अब बिना वित्त विभाग से पूछे निकायों को दूसरी योजनाओं के लिए पैसा नहीं मिल रहा है हालत यह हैं कि निकाय के कर्मचारियों में वेतन बंटेगा या नहीं, यह भी माह के आखिर में ही पता चल रहा है! यही वजह है कि हर महीने कम से कम 15 से 20 निकायों में वेतन ही नहीं बंट पा रहा है।

जीतू पटवारी का ट्वीट

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