हिन्दी के दर्पण में शिवराज का दर्शन
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मध्य प्रदेश

हिन्दी के दर्पण में शिवराज का दर्शन : सीएम के पुस्तकालय में एक हजार हिन्दी किताबें

Shravan Mavai

भोपाल, मध्यप्रदेश। हिन्दी भाषा के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अपना दर्शन है। वे मानते हैं कि भाषा सबसे अच्छी वही, जिसका सुनने वाले के दिल पर असर हो और हिन्दी ऐसी ही भाषा है। मप्र ही नहीं देश के कई हिस्सों में हिन्दी बोली जाती है। अब तो गैर हिन्दी प्रदेशों में भी हिन्दी को बोला और समझा जाता है। हिन्दी भाषा का उपयोग करना गौरव की बात है। मुख्यमंत्री के पुस्तकालय में उनकी निजी एक हजार से अधिक हिन्दी भाषा की किताबें है, जिन्हें उन्होंने अपनी पंसद से एकत्रित किया है। जब भी समय मिलता है तो श्री चौहान अपने पुस्तकालय में किताबों के साथ वक्त बिताते हैं। श्री चौहान हिन्दी भाषा के बड़े पक्षधर हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकारी निवास में बने पुस्तकालय में दर्शन, धर्म, समाजशास्त्र, साहित्य, स्वतंत्रता सेनानियों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक तथा विचारक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर गुरूजी, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहार वाजपेयी, गायत्री परिवार के श्रीराम शर्मा सहित अन्य महान व्यक्तियों की जीवनी, गीता, रामायण और सहित्यकार प्रेमचंद मुंशी, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, राजेंद्र माथुर की किताबों का संग्रह है। इन दर्जनों किताबों में सबसे अधिक दर्शन से जुड़ी किताबें शामिल हैं। श्री चौहान हिन्दी भाषी दार्शनिकों की किताबें पढ़ना सबसे अधिक पंसद करते हैं।

सफर में हिन्दी किताबों को बनाते हैं साथी :

मुख्यमंत्री श्री चौहान जब भी सफर पर जाते हैं तो हिन्दी किताब को अपने साथ रखना नहीं भूलते हैं। वह सफर के दौरान किताबें ही पढ़ते हैं। दैनिक दिनचर्या में हिन्दी किताबों को पढ़ना उनकी आदत में शामिल है। समयानुसार वह मप्र के संदर्भ की किताबें, पत्रिकाए पढ़ना नहीं भूलते हैं। जिसमें जनसम्पर्क विभाग की मप्र संदेश, पाञ्चजन्य साप्ताहिक समाचर पत्र, परमवीर को बुलवाकर पढ़ते हैं।

श्री चौहान द्वारा हिन्दी के पक्ष में किए कार्य :

मप्र में साल 2015 में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन हुआ,जिसकी प्रशंसा हर स्तर पर हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर 19 दिसंबर 2011 को हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना की। श्री चौहान की मंशा है कि हिन्दी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित अन्य अंग्रेजी भाषी पाठ्यक्रमों की शिक्षा हिन्दी भाषा में दी जाए। इसके अलावा उन्होंने सरकारी पत्राचार, फाइलों को हिन्दी भाषा में तैयार करने की पहल की।

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