हाइलाइट्स :
कोरोना काल में 300 घंटे वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा
कार्यस्थल पर ही करते हैं भोजन, सादा खाना है पंसद
हर गतिविधि पर रखते हैं नजर
भोपाल, मध्यप्रदेश। "मध्यप्रदेश मेरा मंदिर, जनता मेरी भगवान और मैं इनका पुजारी हूं...।" मुख्यमंत्री शिवराज राज सिंह चौहान अपने भाषणों में यह लाइन यूं ही नहीं बोलते, उन्होंने इस लाइन को अपने आचरण और काम में शामिल भी किया है। अपनी चौथी पारी में मुख्यमंत्री श्री चौहान 16 घंटे प्रतिदिन काम कर रहे हैं। श्री चौहान की सुबह 6 बजे योग से शुरू होती है। रात 10 बजे मुख्यमंत्री निवास लौटने के बाद भी वे मंत्रियों से मुलाकात या अधिकारियों से प्रदेश के घटनाक्रमों की जानकारी लेते रहते हैं। अल सुबह से देर रात काम में व्यस्त रहने वाले श्री चौहान प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रत्येक राजनैतिक घटनाक्रम पर बरीकी से नजर रखते हैं। यही वजह है कि प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के मामलों में उनकी प्रतिक्रिया अन्य नेताओं से तेज मिलती है। 23 मार्च 2020 को चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने अपना हर रिकार्ड तोड़ दिया, उन्होंने अपनी तीसरी पारी में 13-14 घंटे तक प्रतिदिन काम किया था। इस समय वे हर दिन औसतन 16 घंटे काम कर रहे है। इन 16 घंटो में श्री चौहान मंत्रालय में जरूरी फाइल निपटाने से लेकर जनता से सीधे रूबरू तक होते हैं।
कोरोना काल में 300 घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग :
कोरोना काल में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 300 घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर महामारी में इंतजाम की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की बैठक से लेकर जनता से सजग, जागरूक रहने और नियमों का पालन करने की अपील की। श्री चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को संवाद का सशक्त माध्यम बनाया और सीधे सरकार और जनता को जोड़े रखा। यहां तक कि जब श्री चौहान कोरोना संक्रमण से प्रभवित हुए तो अस्पताल से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना संक्रमण के स्थिति की समीक्षा करते रहे।
सबसे बड़ी ताकत है उनकी मुस्कान और साकारत्मता :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नजदीकी बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान की सबसे बड़ी ताकत है उनके चहरे पर सदा रहने वाली मुस्कान और साकारत्मकता...। सुबह से रात तक श्री चौहान के चहरे के भाव में प्रसन्नता ही देखी जा सकती है। जनता के बीच पहुंचकर हंसी-मजाक का अंदाज उन्हें लोगों के करीब पहुंचा देता है, साथ ही जनता के बीच सहज मुख्यमंत्री के रूप में उनकी छवि को बनाती है। हलांकि कई दुखद घटनाओं के समय उनके चहरे पर दुख के भाव भी असानी से नजर आते हैं। इसके अलावा उनकी स्मरण शक्ति काफी अच्छी है, उन्हें पुरानी बातें, जानकारी और डाटा याद रहता है। उनकी कार्यप्रणाली में समीक्षा करना विशेष रूप से शामिल है। प्रत्येक कार्य की समीक्षा करते हैं। जिससे प्रशासन तंत्र सर्तक और सक्रिय बना रहता है।
सीएम की सेहत का राज, योग और समय पर सदा भोजन :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह 6 बजे उठते हैं। उठने के बाद बरामदे में आकर योग करते हैं, जिसमें सूर्य नमस्कार और अन्य आसन शामिल होते हैं। 6:30 बजे नींबू पानी या कभी चाय पीते हैं। ठीक 7:15 पर बागीचे में चहलकदमी करते हैं। उसके बाद लगभग 8:15 पर श्री चौहान स्नान करने जाते हैं। 9 बजे परिसर में स्थित मंदिर में भगवान के दर्शन और तुलसी को जल चढ़ाते हैं। 9:30 बजे कैबिन में आ जाते हैं और अखबार पढ़ने के बाद जरूरी दस्तावेजों को देखते हैं। इसके बाद लोगों से मुलाकात करते हैं। ठीक 10:30 और 11 बजे के बीच मंत्रालय या जब विधानसभा का सत्र हो तो विधानसभा के लिए रवाना हो जाते हैं। दोपहर 1:30 से 2:30 के बीच कार्यस्थल पर खाना खाते हैं। जब भोपाल में होते हैं तो घर का बना खाना ही खाते हैं, जिसमें सब्जी, दाल, चावल और रोटी शामिल होता है। उनका टिफिन मुख्यमंत्री निवास से मंत्रालय में आता है। जब भी वह प्रदेश में अन्य इलाकों में होते हैं तो वहीं भोजन करते या कभी यात्रा के दौरान कार, हैलीकप्टर में भी भोजन कर लेते हैं। शाम को 5 बजे श्री चौहान नश्ता करते है जिसमें अक्सर पोहा या अन्य कुछ हल्का व्यंजन होता है। रात 9 से 10 बजे के बीच वापस निवास पर पहुंचते हैं। अगर पहले से मंत्रियों से मुलाकात का समय तय है तो उनसे मिलते हैं। उसके बाद परिवार के साथ वक्त बिताते हैं। इसी बीच रात का भोजन करते हैं। देर रात सोने से पहले श्री चौहान मुख्य सचिव और डीजीपी से प्रदेश की प्रमुख घटनाक्रमों की जानकारी लेते हैं।
उनके सथियों द्वारा बताए किस्से :
बात 1990 की है जब शिवराज सिंह चौहान बुधनी से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे तब वोरना गांव की एक महिला अपनी बेटी को लेकर उनके पास आई और उसके विवाह के लिए पैसा नहीं होने की बात कही। श्री चौहान ने उस समय कुछ पैसा विधायक निधि और कुछ अपने साथियों से जमा कर उस महिला के बेटी का विवाह करवाया। उसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि हर साल दस-बीस बेटियों का विवाह करवाना है। जब मुख्यमंत्री बने तो विवाह योजना शुरू की। शिवराज जी किशोर अवस्था से ही आम लोगों के लिए लड़ते रहे हैं, बहुत साल पहले की बात है जब वनविभाग ने ग्रामीणों को गोवाड़ी में पशुओं को ले जाने से रोक दिया था। यह बात शिवराज जी को पता चली तो उन्होंने ग्रामीणों के साथ वननिभाग के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर दिया। वनविभाग को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। उनका व्यवहार जैसा पहले था अपने साथियों के लिए ठीक वैसा आज भी है।गुरुप्रसाद शर्मा, पुराने साथी
कुछ साल पहले शिवराज जी, गुरुप्रसाद शर्मा और मैं रघुनाथ सिंह भाटी नसरूल्लागंज से रहेटी सड़क मार्ग से जा रहे थे। रास्ते में सड़क किनारे कुछ महिला, पुरूष खुदाई का कार्य कर रहे थे। एक महिला ने पेड़ की छांव में कपड़ा बांध कर नवजात बच्चे का सुलाया था। शिवराज जी ने वाहन रोकर उनसे बात की। श्री चौहान जब मुख्यमंत्री बने ता उन्होंने योजना शुरू की।रघुनाथ सिंह भाटी, पुराने साथी
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