मेधा पाटकर के साथ धरना प्रदर्शन करते किसान
मेधा पाटकर के साथ धरना प्रदर्शन करते किसान Ravi Verma
मध्य प्रदेश

इंदौर में किसान आंदोलन के समर्थन में हुआ दो घंटे तक धरना-प्रदर्शन

Author : Mumtaz Khan

इंदौर, मध्य प्रदेश। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर दिल्ली में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में गुरुवार को रीगल चौराहै पर इंदौर ग्रामीण अंचल में किसान मजदूर विरोधी तीनों कानूनों तथा बिजली संशोधन बिल वापस लेने और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा कॉरपोरेट पूंजीपति कंपनियों को बिगड़े वनों को सुधारने के नाम पे जंगल विभाग एवं अन्य राजस्व मद की भूमि उद्योगों को दिए जाने के आदेश के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किए और काले कानूनों की प्रतियां भी जलाई गई 3 दिसंबर से जारी आंदोलन 10 दिसंबर तक लगतार जारी रहेगा।

यहां सैकड़ों की संख्या में किसान दिल्ली में चल रहे आंदोलन के समर्थन में पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान किसान विरोधी बिल फाड़ दो, बिल को वापस लो... अभी तो ये लड़ाई है आगे और लड़ाई है.. जैसे नारे लगाए गए। वहीं, समाजसेवी मेघा पाटकर ने कहा - मुनाफा खोरी, जमाखोरी में लूट की छूट दी जा रही है। अंबानी, अडाणी जैसे कॉर्पोरेटर इस क्षेत्र में घुसेंगे तो वे खेती को भी बर्बाद कर देंगे, किसी वायरस या जानवर से ज्यादा नुकसान खेती को ये करेंगे।

आंदोलन का नेतृत्व ग्रामीण क्षेत्र में किसान सभा के जिला अध्यक्ष केसर सिंह मालवीय ग्राम सचिव भेरूलाल मालवीय ने किया। कामरेड अरुण चौहान ने बताया कि शहर में भी रीगल चौराहे पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर सहित किसान मजदूर संगठन के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने काले कानूनों के खिलाफ प्रभावशाली धरना प्रदर्शन किया और भोपाल गैस कांड में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही दिल्ली में जारी किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

जल, जंगल, जमीन मालिक किसान के साथ है :

इस मौके पर मेघा पाटकर ने कहा कि यह कॉर्पोरेटीकरण मप्र भुगत चुका है। देश भी हर क्षेत्र में भुगत रहा है। इस काले कानून के दौरान अंबानी, अडाणी जैसे कॉर्पोरेट इस क्षेत्र में घुसेंगे तो वे खेती को भी बर्बाद कर देंगे। ये कार्पोरेट वाले जितना नुकसान करेंगे, उतना नुकसान तो कोई वायरस या जंगली जानवर भी नहीं करता। कॉर्पोरेटीकरण इतना खतरनाक वायरस है। मुनाफा खोरी, जमाखोरी में लूट की छूट दी जा रही है, लेकिन मिनिमम समर्थन मूल्य की कोई बात इस कानून में नहीं है। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के तहत नई जमीनदारी, जिसकी देश में आज चल रही है, वह खींच लेगा तो आम जनता की अन्न सुरक्षा, राशन व्यवस्था और फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का कारोबार सबकुछ खत्म हो जाएगा। यह अफ्रीकन देशों ने दक्षिण अमेरिकन देशों ने भुगता है। जल, जंगल, जमीन मालिक किसान के साथ हैं।

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